सरोकार...

   अमेरिका में ही क्यों नहीं जलाते जहरीला कचरा ?

 

  •  डॉ. चन्दर सोनाने

 

               भोपाल से जब से यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर आने की सूचना मिली, तब से ही पीथमपुर और इंदौर में उसका विरोध शुरू हो गया था। किन्तु जब भोपाल से हाल ही में पीथमपुर 337 मीट्रिक टन कचरा पहुँच गया तो 3 जनवरी को जन आक्रोश भड़क उठा। जन स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी तमाम आशंकाओं से डरे लोगों ने पीथमपुर बंद रखा। दो युवकों ने आत्मदाह की कोशिश की। 7 किलोमीटर लंबा हाईवे पूरा दिन जाम रहा। स्थिति उग्र हो गई। कई बार पथराव हुआ। पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया। 

      जन आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संवेदनशीलता दिखाई और शुक्रवार 3 जनवरी को ही देर रात कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाकर यह निर्णय लिया कि पीथमपुर में भेजा गया जहरीला कचरा अभी नहीं जलेगा। राज्य सरकार जन भावनाओं को कोर्ट के सामने रखेगी। मुख्यमंत्री ने इस समस्या पर कहा कि नागरिकों के जीवन को खतरा हो, ऐसा कोई कदम मध्यप्रदेश सरकार नहीं उठाएगी। अभी पीथमपुर में कचरा डम्प किया गया है। उसे फिलहाल नहीं जलाया जायेगा। कोर्ट के सामने जनभावनाएं रखकर उससे मार्गदर्शन लिया जायेगा। 

         उल्लेखनीय है कि भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कारखाने में 3 दिसम्बर 1984 को रात को जहरीली गैस के रिसाव से करीब 20 हजार लोग सोए के सोए ही रह गए थे। लाखों लोग उससे प्रभावित हुए। वे अभी भी अपना इलाज कराने के लिए मजबूर हैं। कोर्ट के आदेश पर कुछ साल पहले राज्य सरकार ने पीथमपुर में 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाया था। पीथमपुर के आसपास के लोगों का कहना और मानना है कि जहाँ कचरा जलाया था, वहाँ के आसपास की कृषि भूमि में 90 प्रतिशत तक फसल कम आने लगी। कई लोग बीमार हो गए जो अभी तक अपना इलाज करा रहे है। यूनियन कार्बाइड के कचरे मर्करी, लेड और अन्य कैंसर कारक केमिकल है। विषैले तत्वों के कारण क्षेत्र का पानी दूषित हो रहा है। पीथमपुर और महू में कैंसर और अन्य अनुवांशिक बीमारियाँ फैल रही हैं। 

      पूर्व में केवल 10 टन कचरा जलाने से 90 प्रतिशत कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता प्रभावित हुई है। जल दूषित हुआ है। कैंसर जैसी बीमारियाँ फैल रही हैं। यदि अब 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाया जायेगा तो सहज ही कल्पना की जा सकती है कि क्या हालात होंगे ? पीथमपुर के साथ उज्जैन-इंदौर, यशवंत सागर, गंभीर नदी, चंबल  नदी पर खतरनाक असर होने की भी संभावना बताई जा रही है। 

      मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जन आक्रोश देखते हुए पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। किन्तु सवाल यहाँ यह उठता है कि अमेरिका के यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है ? जब यूनियन कार्बाइड कारखाना अमेरिका के निवासी का था, तो यूनियन कार्बाइड का शेष बचा 337 मीट्रिक टन कचरा मध्यप्रदेश के पीथमपुर में ही क्यों जलाया जा रहा है ? पीथमपुर ही नहीं मध्यप्रदेश में भी कही नहीं जलाया जाना चाहिए। पूरा देश हमारा है। अमेरिका के यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और उनके स्टाफ की गलती से जब 3 दिसम्बर 1984 में जहरीली गैस रिसाव का हुआ तो पूरी जिम्मेदारी यूसीसी के अध्यक्ष की ही बनती है। इसलिए मध्यप्रदेश और भारत सरकार को यह पुरजोर कोशिश करनी चाहिए कि यूनियन कार्बाइड का यह जहरीला कचरा मध्यप्रदेश या देश में कही नहीं जले। यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की ही जिम्मेदारी है तो वह यहाँ से जहरीला कचरा ले जाए और कहीं भी जलाए या नष्ट करें। किसी भी हालत में मध्यप्रदेश और देश में यह जहरीला कचरा जलाया या नष्ट नहीं किया जाना चाहिए, ताकि लोगों की जान और स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सके। 

                 मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपेक्षा है   कि वे केन्द्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष मजबूत से रखेंगे और भारत सरकार अमेरिका के समक्ष अपना यह प्रस्ताव रखे कि भारत देश में यह जहरीला कचरा कहीं नहीं जलेगा ! देश के बाहर कहीं भी ये जहरीला कचरा जलाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से यूनियन कार्बाइड कॉर्पारेशन की ही है। और वही अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी करें। 

                                                           

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डा. चन्दर सोनाने (स्वतंत्र लेखक) ।  मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग  से संयुक्त संचालक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद डा. सोनाने सामाजिक और समसामयिक विषयों पर निरंतर लिख रहे हैं।

 

न्यूज़ सोर्स : डा. चंदर सोनाने