1 मार्च, 2027 से शुरू होगी जनगणना

1 मार्च, 2027 से शुरू होगी जनगणना
नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित जनगणना की तारीख की आखिरकार केंद्र सरकार ने आज घोषणा कर ही दी । जनगणना-2027 दो चरणों कराई जाएगी। जनगणना का पहला चरण अगले वर्ष 01 अक्टूबर 2026 से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में शुरू होगा जबकि शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनगणना 01 मार्च 2027 से की जाएगी। इस बार होने वाली जनगणना में जातियों की भी गणना की जाएगी जिसकी विशेषकर विपक्षी दल मांग कर रहे थे। जनगणना कराने की अधिसूचना इसी महीने 16 जून को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।
भारत में हर दस साल में जनगणना होती है । इसके तहत 2021 में भी दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव था। पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में आयोजित किया जाना था। जनगणना 2021 में आयोजित की जाने वाली जनगणना के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी हो गई थीं लेकिन देश भर में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना का काम स्थगित करना पड़ा था। इसके पहले भारत की पिछली जनगणना 2011 में दो चरणों में आयोजित की गई थी ।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में अगले वर्ष 01 अक्टूबर 2026 से और बाकी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 01 मार्च 2027 से होने वाली जनगणना में जातियों की भी गणना की जाएगी । केंद्र सरकार ने विगत 30 अप्रेल 2025 को केबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना करवाने की निर्णय लिया था। देश के प्राय: सभी विपक्षी दल जातीय जनगणना करवाने की लम्बे समय से मांग कर रहे थे। जातीय जनगणना में जाति और उपजाति की भी जानकारी प्राप्त की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जातीय जनगणना से विशेषकर पिछड़े और कमजोर तबके की लोगों के लिये योजनाएं बनाने और क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी ।
2011 में सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं किए
मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। जनगणना अधिनियम 1948 में अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना का प्रावधान है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति की 1,270 और अनुसूचित जनजाति की 748 जातियां हैं। जनगणना 2011 में अनुसूचित जाति की आबादी 16.6% और अनुसूचित जनजाति की 8.6% आबादी थी।