कोरोना काल में कुत्तों के काटने की घटनाओं में कमी आई थी 

भोपाल. भारत में सन 2021 और 2022 में कोरोना का प्रकोप रहा है. जब लाकडाऊन लगाया गया था तब कुत्तों के मानवों को काटने की घटनाओं में इजाफा हो गया था. लेकिन आंकड़ों की बात करें तो इन दोनो वर्षों में ही कुत्तों के काटने की सबसे कम प्रकरण दर्ज किये गये हैं. कुत्तों के मानवों को काटने के प्रकरण सन 2021 में 1701133 और सन 2022 में 2180185 प्रकरण दर्ज किये गये जबकि सन 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 3043339 हो गया है. इसके पहले सन 2019 में 7277523 तथा सन 2020 में 4633493 प्रकरण दर्ज किये गये थे. तथ्यात्मक रूप से आकलन करने पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कुत्तों के काटने के प्रकरण कोरोना काल में अन्य वर्षों की तुलना में कम रहे. कोरोना काल के दौरान लाकडाऊन और प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करने के कारण कुत्तों के काटॅने की एक बड़ी वजह यह बताई गई थी कि भूखे रहने के कारण कुत्ते उग्र हो रहे हैं जिसके कारण वे मानवों को काट रहे हैं. एक हद तक यह बात सही हो सकती है लेकिन आंकड़ों पर गौर करेंगे तो अन्य वर्षों की तुलना में कोरोना काल में कुत्तों के काटने के प्रकरणों की संख्या कम रही.

भारत में हर साल रैबीज से 20 हजार से अधिक मौतें  

 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओके अनुसार - कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज के कारण विश्व में मानव मृत्यु की संख्या सालाना 59,000 होने का अनुमान है जबकि भारत में हर साल औसत 20,565 (35%) मौतें होती हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय देश में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 12वीं पंचवर्षीय योजना से ही राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रहा है। केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (डॉग्‍स) नियम2001 के स्थान पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम1960 के अंतर्गत 10 मार्च2023 के माध्यम से पशु जन्म नियंत्रण नियम2023 को अधिसूचित किया है। इन नियमों का उद्देश्य नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से आवारा कुत्तों की आबादी को कम करना है। पिछले तीन वर्षों में कुत्तों को 10154 लाख रेबीज-रोधी टीकेअन्य पशुओं को 1285 लाख रेबीज-रोधी टीके लगाए गए और 2453 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई। इसके अलावाकुत्ते के काटने के मामलों को नियंत्रित करने के लिए कुत्ते की आबादी का प्रबंधन महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। इस संबंध मेंस्थानीय निकाय पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम और एंटी रेबीज टीकाकरण को लागू कर रहे हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण नियम2023 बनाए हैं।