वसुदेव-देवकी कारावास में नहीं होते तो कृष्ण का जन्म आगरा में होता.... श्रीकृष्ण का सगा मामा नहीं था कंस

- वसुदेव-देवकी कारावास में नहीं होते तो कृष्ण का जन्म आगरा में होता
- श्रीकृष्ण का सगा मामा नहीं था कंस
- डा. विनोद पुरोहित
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। इस अवसर पर देशभर से श्रद्धालु हर बार की तरह कृष्ण भगवान की जन्मस्थली के दर्शन के लिए मथुरा आएंगे। इस दौरान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े सभी स्थलों वृंदावन, गोकुल, बरसाना आदि में लंबे अरसे तक विभिन्न आयोजन होते हैं। कृष्ण मथुरा में जन्मे, लेकिन यहां यह बताना मौजूं होगा कि उनका गृह जनपद आगरा था। यदि वसुदेव और देवकी मथुरा में कारावास में नहीं होते तो श्रीकृष्ण का जन्म स्थान आगरा होता। उनके पिता वसुदेव और पितामह शूरसेन बटेश्वर निवासी थे।
श्रीकृष्ण माता देवकी और पिता वसुदेव की आठवीं संतान थे। इनके पूर्वज यदु की संतान होने के कारण यदुवंशी कहे जाते हैं। इतिहास खंगालने पर ज्ञात होता है कि सन 625 में भारत आए एक चीनी यात्री ने अपने भारत वर्णन में कंस के राज्य का विस्तार 833 मील बताया है। कंस का आगरा में किला था। इस तथ्य की पुष्टि आगरा के गांव गोकुलपुरा स्थित कंस दरवाजा से भी होती है। विशन कपूर ने अपनी ‘आगरा दर्शन’ नामक पुस्तक में लिखा है कि महाभारत काल में आगरा में कंस का जेलखाना था। आज भी कंस दरवाजा से जुड़ी एक दीवार है। होली पड़वा के दिन मनसादेवी मंदिर से निकलने वाली कृष्ण-राधा यात्रा कंस दरवाजा पर जाकर समाप्त होती है। इन सभी तथ्यों का उल्लेख राजकिशोर राजे की पुस्तक ‘तवारीख-ए-आगरा’ में भी मिलता है।
श्रीभागवत सुधा सागर के वर्णन अनुसार द्वापर युग में वहां अंधक वंशीय राजा आहुक राज्य करते थे। राजा आहुक के दो पुत्र देवक और उग्रसेन थे। आहुक की मृत्यु के पश्चात उग्रसेन ने राजसिंहासन संभाला। उग्रसेन के यहां कंस सहित नौ पुत्र और चार कन्याओं का जन्म हुआ। उग्रसेन के भाई देवक के देवयान सहित चार पुत्र और सात कन्याएं हुईं। देवक ने अपनी बड़ी बेटी देवकी व उसकी छह बहनों का विवाह शौरीपुर के राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव से किया था। यही शौरीपुर वर्तमान में बटेश्वर है। बाद के वर्षों में अंधक वंश में कुछ ऐसे हालात बने कि कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर राजसिंहासन पर कब्जा कर लिया। इसी दौर का वाकया है वसुदेव मथुरा से अपनी नवविवाहिता पत्नी देवकी को विदा कराकर रथ से शौरीपुर (बटेश्वर) की ओर प्रस्थान कर रहे थे। कंस खुद रथ को हांक रहा था। तभी आकाशवाणी हुई कि- ’अरे मूर्ख कंस, तू जिसको रथ में बैठाकर ले जा रहा है, उसकी आठवीं संतान तुझे मार डालेगी।’ यह भविष्यवाणी सुनकर कंस भयभीत हो गया। उसने वसुदेव सहित देवकी को बंदी बना लिया। इसके बाद वसुदेव और देवकी की सात संतानों का कंस ने वध कर दिया। वसुदेव ने आठवीं संतान को प्रयत्न करके किसी तरह गोकुल में नंद नामक अपने रिश्तेदार के यहां पहुंचा दिया। बाद में इसी बालक कृष्ण ने कंस का वध करके फिर से राजा उग्रसेन को गद्दी पर बैठा दिया। कंस देवकी की संतानों को मारने की वजह से कुख्यात है। हालांकि कृष्ण की मां देवकी कंस की सगी बहन नहीं थी और इस तरह कंस कृष्ण का सगा मामा नहीं था। देवकी कंस के पिता उग्रसेन के भाई देवक की पुत्री थी। कंस का वध करके कृष्ण ने कंस के आतंक का अंत किया था।
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* डॉ. विनोद पुरोहित वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने अनेक समाचार पत्रों में सम्पादक का दायित्व भी बखूबी निभाया है। वे आगरा में भी तीन – चार साल रहकर एक राष्ट्रीय अखबार का सम्पादक रहे हैं।