करीब 20 हजार दिवंगतों की अस्थियां विसर्जित करने वाले समाजसेवी सोनी नहीं रहे 

 

♦️कीर्ति राणा, इंदौर 

आज पत्रकारिता कर रही पीढ़ी और दो दशक में जवान हुए युवाओं के लिए तो मोहनलाल सोनी मतलब कुर्ते-पाजामे पर काली बंडी, काली टोपी पहने और साइकिल पर चलने वाला एक आम आदमी हो सकता है जो यदाकदा धार्मिक कार्यक्रम का प्रेस नोट लेकर अखबारों में पहुंच जाता था।

इंदौर में पूर्वी-पश्चिमी क्षेत्र के विभिन्न समाजों के वरिष्ठजन जानते हैं मोहनलाल सोनी के निधन से इंदौर ने क्या खोया है। 95 वर्षीय समाजसेवी मोहनलाल सोनी का पिछले दिनों इंदौर में निधन हो गया ।

करीब 20 साल पहले मोहनलाल सोनी साइकिल से पंचकुइयां श्मशानघाट वाले रास्ते से जा रहे थे, पत्नी पीछे बैठी थी। लाल कपड़े वाली पोटली दबाए एक कुत्ता सामने से भागता हुआ निकला। पोटली का कपड़ा ढीला हुआ और अस्थियां सड़क पर बिखर गई। सोनी जी द्रवित हो गए। वहां से एमओजी लाईन में रहने वाले पत्रकार चंदू गुप्ता के पास पहुंचे । लावारिस अस्थियों के विसर्जन को लेकर  चर्चा चली।  उसी वक्त श्रद्धा सुमन सेवा समिति का नाम तय हुआ। समिति से  हरि अग्रवाल, अशोक जायसवाल, डॉ चैतन सेठिया, राजेंद्र गर्ग, कमल गुप्ता, चंदू गुप्ता जगमोहन वर्मा आदि को जोड़ा।   

समिति ने पहले लावारिस अस्थियों के विसर्जन का काम हाथ में लिया। पंचकुईया मुक्तिधाम की बेहतरी के लिए निशुल्क सेवा देने वाले (स्व) प्रेम बाहेती को योजना बताई।  उन्होंने तत्कालीन एमआईसी सदस्य ललित पोरवाल को  सहयोग के लिए प्रेरित किया लेकिन बाद में सोनी और अन्य साथियों ने ही शहर के श्मशानघाटों से लावारिस अस्थियां जुटाना शुरु कर दी। तब वे अखबारों में प्रेस नोट लेकर जाते थे ताकि अन्य उन परिवारों को भी सूचना हो जाए कि पूजन पश्चात विसर्जन के लिए कब रवाना होंगे। गायत्री पद्धति से हवन-पूजन पश्चात देश की शायद ही कोई पवित्र नदी बची हो जहां लावारिस अस्थियों का विसर्जन नहीं किया गया हो। इस पुण्य कार्य में भी इंदौर नंबर वन बना बाद में अन्य राज्यों ने भी प्रेरणा ली। 

 

🔹श्राद्ध पक्ष में सामूहिक तर्पण भी

 

अस्थियों के सामूहिक विसर्जन पश्चात विचार हुआ कि श्राद्ध पक्ष में तर्पण भी करना चाहिए। डेढ़ दशक पहले सामूहिक तर्पण की शुरुआत कृष्णपुरा छतरी पर की। फिर अखंडधाम आश्रम पर और बीते एक दशक से श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा एयरपोर्ट रोड स्थित हंसदास मठ में महामंडलेश्वर पवन तिवारी के आचार्यत्व में सामूहिक तर्पण आयोजित किया जा रहा है। 

मूल रूप से हाटपीपल्या देवास के सोनी जी की पहचान मुकेरीपुरा में आदर्श विद्या भवन शुरु करने से एक शिक्षक के रूप में पहचान थी। कैलाश शर्मा (पूर्व निगम सभापति) सहित क्षेत्र के कई प्रमुख लोग उनके विद्यार्थी रहे हैं। बाद में आदर्श इंदिरा नगर में स्कूल शुरु कर दिया।

(मुक्ति धामों से अस्थियों को पवित्र नदियों में ले जाकर विसर्जन और तर्पण करने वाले सोनी जी की आत्मा को परमपिता परमेश्वर अपने लोक में उचित स्थान प्रदान करे )