एम्स भोपाल में तीन मरीजों का सफल किडनी प्रत्यारोपण

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एक पिता और दो पत्नियों ने की है किडनी दान  

भोपाल। जब किडनी लगभग काम करना बंद कर देती है तब मरीज की जान बचाने के लिये किडनी प्रत्यारोपण के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता है। अभी भी देश में बड़ी संख्या में मरीज किडनी प्रत्यारोपण की आशा में किडनी दान करने वालों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ भाग्यशाली मरीजों को ही किडनी के दानदाता मिलते हैं। इसके अलावा किडनी प्रत्यारोपण पर अत्यधिक खर्च भी होता है। ऐसा देखा गया है कि किडनी दान करने वालों में आमतौर से परिवार के सदस्य और बहुत ही करीबी रिस्तेदार होते हैं। ऐसे ही तीन मरीजों का भोपाल के प्रसिद्ध अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हाल ही में किफायती और उन्नत स्वास्थ्य सेवा में एक नई मिसाल कायम करते हुए किडनी का सफल प्रत्यारोपण किया गया है। एक मरीज को उसके पिता ने तथा दो मरीजों को उनकी पत्नियों ने किडनी दान देकर नया जीवन प्रदान किया है।  

     

 पहला प्रत्‍यारोपण जनवरी 2024 में किया गया था जब एक पिता ने अपने पुत्र को किडनी दान दी थी। हाल ही में दो और सफल किडनी प्रत्‍यारोपण किए गए। इन मामलों में पत्नियों ने अपने पति की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान की है। उनमें से एक मरीज रीवा से जबकि दूसरा भोपाल से है और दोनों ही मरीजों की बेहतर रिकवरी हो रही है। इन अद्भुत साहसिक और बलिदानी कार्यों के साथ एम्स भोपाल की विशेषज्ञता ने इन परिवारों को एक स्वस्थ भविष्य की नई उम्मीद दी है। एम्स भोपाल न केवल अपनी चिकित्सा सफलता के लिए बल्कि किफायती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी जाना जाता है। यहां किडनी प्रत्यारोपण की औसत लागत ₹3 से ₹4 लाख के बीच है, जबकि निजी अस्पतालों में ₹15 से ₹20 लाख तक खर्च करना होता है।  इसके अलावा सरकारी योजनाओं के अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों का इलाज मुफ्त में किया जाता है।

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक, प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि "ये सफल किडनी प्रत्यारोपण हमारी मेडिकल टीम की निष्ठा, कौशल और परिश्रम का प्रमाण हैं। एम्स भोपाल के लिए यह एक गर्व का क्षण है, क्योंकि हम दिखा रहे हैं कि किफायती स्वास्थ्य सेवा का मतलब गुणवत्ता से समझौता नहीं होता। हम दानकर्ताओं के अद्वितीय साहस और उदारता जी सराहना करते हैं। हमारे प्रत्यारोपण कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए, हम निकट भविष्य में और भी अधिक ऐसी सर्जरी करने की योजना बना रहे हैं, ताकि और लोगों की सेवा की जा सके।"

एम्स भोपाल के नेफ्रोलॉजिस्ट, डॉ. महेंद्र अटलानी ने इन सफलताओं पर कहा कि "इन प्रत्यारोपणों की सफलता केवल शल्य कौशल की बात नहीं है, बल्कि इसमें सटीक पूर्व-ऑपरेटिव योजना और समर्पित पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल भी शामिल है। हमारी टीम एक समन्वित तरीके से काम करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर मरीज की बेहतर देखभाल की जा सके। हम अपने प्रत्यारोपण कार्यक्रम का भी विस्तार कर रहे हैं ताकि और अधिक मरीज और परिवार अपनी स्वास्थ्य समस्याओं से उबर सकें।" इस ट्रांसप्‍लांट टीम में यूरोलॉजिस्‍ट डॉ. देवाशीष कौशल, डॉ. केतन मेहरा और डॉ. माधवन शामिल थे।

इन सफल सर्जरी के साथ एम्स भोपाल किडनी प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभर रहा है। निकट भविष्य में हृदय और लीवर प्रत्यारोपण सेवाएं भी शुरू करने की योजना है, जिससे जीवनरक्षक उपचारों की व्यापक श्रृंखला उन लोगों के लिए उपलब्ध होगी जिन मरीजों को  इसकी जरूरत हैं। एम्स भोपाल उच्च गुणवत्ता वाली और किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के अपने मिशन के प्रति समर्पित है और चिकित्सा उत्कृष्टता में नए मानदंड स्थापित कर रहा है।