भोपाल में दिव्यांगजनों को मिलेंगे निःशुल्क कृत्रिम अंग

       भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में दिव्यांगजनों को निःशुल्क कृत्रिम अंग, कैलिपर और अन्य सहायक उपकरण प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए एम्स भोपाल में एक कृत्रिम अंग एवं कैलिपर निर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा। इस सम्बंध में एम्स भोपाल और जयपुर के श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस समझौते ज्ञापन पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह की मौजूदगी में एम्स भोपाल के डीन (एकेडमिक्स) डॉ. रजनीश जोशी और श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के सचिव डॉ. दीपेंद्र मेहता ने हस्ताक्षर किए।

        समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि दिव्यांगजनों के पुनर्वास के लिए यह पहल एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल केवल चिकित्सा सहायता तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा। एम्स भोपाल का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, और श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के सहयोग से यह और भी प्रभावी रूप से कार्य करेगा। इस साझेदारी से मरीजों  की देखभाल, पुनर्वास अनुसंधान और शिक्षा को मजबूती मिलेगी। यह समझौता दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा और उन्हें मुफ्त में उच्च गुणवत्ता वाले कृत्रिम अंग प्राप्त करने में मदद करेगा।

उल्लेखनीय है कि जयपुर की श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति दुनिया की सबसे बड़ी दिव्यांग पुनर्वास समिति है। समिति अब तक लगभग 25 लाख दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण प्रदान कर चुकी है। यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है। इसी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति द्वारा एम्स भोपाल में अपने स्वयं के खर्च पर उपकरण निर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा। समिति तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति भी करेगी। एम्स भोपाल में उपचाररत उन दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग लगाए जाएंगे, जिनका अंग विच्छेदन हुआ है, साथ ही एम्स द्वारा सुझाए गए अन्य दिव्यांगों को भी निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान किये जाएंगे । इन सभी की निगरानी एम्स भोपाल के पुनर्वास और आर्थोपेडिक्स विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी।

 

न्यूज़ सोर्स : एम्स भोपाल