हीरा प्राकृतिक है या सिंथेटिक...... जानकारी देना अनिवार्य
हीरा प्राकृतिक है या सिंथेटिक
जानकारी देना अनिवार्य
नई दिल्ली। हीरा खदानों से निकाला जाता है जिसे प्राकृतिक हीरा कहते हैं जबकि प्रयोगशालाओं में बनाया गया हीता सिंथेटिक होता है। उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी होनी चाहिये और जानकारी देने की जिम्मेदारी उद्योगों व व्यापारियों की होगी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानक आईएस 15766:2007 के अनुसार, "हीरा" शब्द का तात्पर्य केवल प्राकृतिक हीरों से ही होना चाहिए जबकि सिंथेटिक हीरे को पात्रता के बिना "हीरा" के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है। उत्पादन विधि या उपयोग की जाने वाली सामग्री कुछ भी हो, परन्तु इसका उल्लेख स्पष्ट रूप से "सिंथेटिक हीरे" के रूप में ही किया जाना चाहिए। बाजार में इसके संबंध में स्पष्टता बनाए रखने के लिए, सिंथेटिक हीरे को प्राकृतिक हीरे के साथ वर्गीकृत करने पर भी रोक लगाई गई है।
हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे की अध्यक्षता में आयोजित परामर्श में उद्योग के प्रमुख हितधारकों और विशेषज्ञों की बैठक में इस बात पर प्रमुख चर्चा हुई कि प्राकृतिक हीरे और प्रयोगशाला में तैयार किये गये हीरे के बीच अंतर को लेकर उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा होता है और इसके लिए भ्रामक तौर-तरीके अपनाए जाते हैं। परामर्श के दौरान व्यापक रूप से इसके मुख्य पहलुओं और मौजूदा कानूनी और विनियामक ढाँचों पर विस्तार से चर्चा की गई। उदाहरण के लिए, कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 की धारा 12 के तहत हीरे, मोती और कीमती पत्थरों के द्रव्यमान की इकाई कैरेट (प्रतीक: c) प्रदान की गई है, जो 200 मिलीग्राम या एक किलोग्राम के पांच-हज़ारवें हिस्से के बराबर है। यह हीरा उद्योग में वाणिज्यिक लेन-देन में स्थिरता के लिए मानक पैमाना है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत, हीरा उद्योग में अनुचित व्यापार पर प्रतिबंध और पारदर्शी लेबलिंग सुनिश्चित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान किया गया है जिसके अंतर्गत उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाली जानकारी या भ्रामक विवरण देने पर रोक लगाई गई है।
इसके अलावा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा 30 अक्टूबर, 2024 को जारी परिपत्र में यह स्पष्ट घोषणा करना अनिवार्य कर दिया है कि हीरा प्राकृतिक है या प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। यदि प्रयोगशाला में बनाया गया है, तो इसकी उत्पादन विधि - रासायनिक वाष्प जमाव (सीवीडी), उच्च दबाव उच्च तापमान (एचपीएचटी), या अन्य – जो भी है उसे निर्दिष्ट किया जाना चाहिए ताकि हीरा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके ।
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सभी हीरों की स्पष्ट लेबलिंग और प्रमाणीकरण हो, जिसमें उनकी उत्पादन विधि का उल्लेख हो। प्रयोगशाला में विकसित उत्पादों के लिए “प्राकृतिक” या “वास्तविक” जैसे भ्रामक शब्दों के प्रयोग पर रोक रहेगी। इसके अलावा हीरा परीक्षण प्रयोगशालाओं को विनियमित और मानकीकृत करने के लिए मान्यता प्रणालियां लागू होंगी, जिससे अनियमित संस्थाओं पर अंकुश लगाया जा सके। यह परामर्श पारदर्शी और हीरा बाजार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) जल्द ही हीरा उद्योग में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत दिशानिर्देशों की रूपरेखा जारी करेगा।
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