याद न जाए, बीते दिनों की........................... आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो ......................................आज का चिंतन....................................... संजय अग्रवाल

आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो
आज का चिंतन
- संजय अग्रवाल
याद न जाए, बीते दिनों की
एक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई कि
खराब यादों और बातों को
बगिया के खरपतवार की तरह
उखाड़ फेंकिए लेकिन जनाब
इतना आसान है नहीं
जितना लिखने में लगता है।
यथार्थ और आदर्श में
बहुत अंतर है जी।
यादें
स्मृतियां.. कई सारी..
कुछ मधुर स्मृतियां,
कुछ कटु स्मृतियां।
जितना अधिक इनके बारे में सोचें,
उतनी अधिक तीव्रता के भाव
मन में आते हैं।
और उसी अनुपात में
वर्तमान पर असर पड़ता है,
क्षमता और सक्रियता
प्रभावित होती है।
जीवन
जो गुजर गया वह सपना था
जो वर्तमान है वह अपना है
वर्तमान में करने के लिए
इतना कुछ होता है कि
यदि उसे करते चले जाएं तो
वह कभी समाप्त ही न हो
और कदाचित
बीती यादों के लिए
समय ही ना बचे।
खोना पाना
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया_
जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया_
विकल्प सदा हमारे सामने होते हैं
हम किसे अपनाएं,
यह चुनाव हमारे विवेक,
बुद्धिमत्ता, संकल्प, अभ्यास और
परिपक्वता पर निर्भर करता है।
क्या करें
वर्तमान क्षण का भरपूर सदुपयोग
अविचलित, पूर्णतः संकल्पित
अटूट विश्वास,
संपूर्ण क्षमता के साथ प्रयास
नित नवीन प्रयोग,
नूतन उत्साह
सीखने की ललक,
जानने की चाह
सहयोग का लेनदेन,
भूमिका का निर्वाह
योगदान निस्वार्थ,
परिश्रम पुरुषार्थ
सहज, सरल, निश्छल, स्वीकार्यता
यही समाधान, यही अभीष्ट
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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं। इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं। मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं।