विश्व शौचालय दिवस ........ हमारा शौचालय- हमारा सम्मान देशव्यापी अभियान आज से
विश्व शौचालय दिवस ........
हमारा शौचालय- हमारा सम्मान देशव्यापी अभियान आज से
नई दिल्ली। आज विश्व शौचालय दिवस है। भारत सहित समूचे विश्व में वर्तमान में 419 मिलियन लोग खुले में शौच करने के लिये मजबूर हैं। विश्व शौचालय दिवस अपर्याप्त स्वच्छता के कारण विश्व भर में अरबों लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये के लिए मनाया जाता है।
इस वर्ष भारत में विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर "हमारा शौचालय: हमारा सम्मान" अभियान शुरू हो रहा है। यह अभियान 10 दिसंबर 2024 को मानवाधिकार दिवस के मौके पर समाप्त होगा, जो स्वच्छता को मानवाधिकारों और विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए गरिमा और गोपनीयता के महत्व को प्रदर्शित करता है।
भारत में सन 2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन के बाद स्वच्छता को लेकर सभी आयु वर्ग के लोगों में जबर्दस्त जागरूकता आई है। इस मिशन से स्वच्छता में सुधार और खुले में शौच को खत्म करने के सफलता मिली है । स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 11.73 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का कराया जा चुका है। इसके नतीजतन 5.57 लाख से अधिक ओडीएफ प्लस गांव बन गए हैं। इस अभियान का सुप्रभाव स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक भारत में 2014 की तुलना में 2019 तक डायरिया से होने वाली मौतों में 3,00,000 तक की कमी आई है। मिशन का आर्थिक प्रभाव भी समान रूप से प्रभावशाली दिखाई दे रहा है, जिसके जरिए ओडीएफ गांवों को स्वास्थ्य सेवा पर प्रति परिवार औसतन 50,000 रुपये की बचत हुई है। इसके समकक्ष शहरी क्षेत्रों में भी स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत 63.63 लाख से अधिक घरेलू शौचालयों और 6.36 लाख से अधिक सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कराया गया है। इन प्रयासों के कारण 4,576 शहरों को ओडीएफ का स्थान मिला, जिनमें से कई ओडीएफ+ और ओडीएफ++ की श्रेणी प्राप्त करने की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं। इस मिशन ने महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को भी अंदरूनी तौर पर प्रभावित किया है। ओडीएफ क्षेत्रों में 93% महिलाओं ने सुरक्षा भावना में बढ़ोत्तरी की बात स्वीकार की है।
मानवाधिकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य की अनिवार्यता
विश्व शौचालय दिवस 2024, खासकर कमजोर और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैश्विक ज़रुरत को प्रदर्शित करता है। इस दिवस यह भी याद दिलाता है कि सुरक्षित और बेहतर स्वच्छता व्यवस्था तक पहुंच केवल बुनियादी ढांचे का मसला नहीं, बल्कि गरिमा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा एक मौलिक मानव अधिकार है। सरकारों, संगठनों और समुदायों को स्थायी समाधानों को प्राथमिकता देने, जागरूकता को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक उपायों में निवेश करने के लिए एक साथ आना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर व्यक्ति के पास ये सुविधाएं हों। एकजुट होकर काम करके, हम पानी और स्वच्छता तक सभी की पहुंच होने के सपने को वास्तविकता में बदल सकते हैं, अरबों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा कर सकते हैं और एक अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण दुनिया की नींव रख सकते हैं।
**********************