आधी दुनिया में युद्ध के बादल छाए हैं, कहीं मिसाइल बरस रही है तो कहीं बम! हम भी अछूते नहीं। सालों - साल से छद्म युद्ध झेल रहे हैं। ऐसे हालात में जरा सोचें और विचार करें..।

 

 

जीने की ख्वाहिश है तो, मरने की तैयारी रख !

  • जयराम शुक्ल

                   अमेरिका इसलिए महान है क्योंकि अस्तित्व में आने के बाद से लगातार युद्ध लड़ रहा है, पहले अपने लिए लड़ा, अब दूसरों पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए!

      दुनिया में सबसे ज्यादा शहीद अमेरिका के लिए या अमेरिका की ओर से लड़ने वाले जवान होते हैं, पता करिए, आज भी अमेरिकी सैनिक कहीं न कहीं लड़ ही रहे हैं।

       इंग्लैंड इसलिए 'ग्रेट ब्रिटेन' बना क्योंकि उसने युद्ध करके समूची दुनिया को अपनी जूती की नोक पर रखा, उसके क्राउन को भारतीय नबाबों, राजाओं ने खुदा, भगवान से ज्यादा पूजा !

       डच और पुर्तगाली लड़ते और जीतते हुए इंडिया पहुँचे और अँग्रेजों से पहले इस देश के कई हिस्सों में प्रभुत्व जमाया।

      उससे पहले, यवनों, तुर्कों, मंगोलों ने युद्ध किए, विजय हाँसिल की और भारतवर्ष को भोगा।

       सिंकदर इसलिए महान है क्योंकि उसने होश सँभालते ही युद्ध करना शुरू किया, वह मरते दम तक युद्धरत रहा।

      खानाबदोश मुगलों ने युद्ध को अपना धर्म बनाया ..और बाबर ने मुट्ठी भर सैनिकों के दम पर हिंदुस्तान को फतह किया, उसकी औलादों ने छह सौ वर्षों तक राज किया।

-आज दुनिया इजरायल को इसलिए सलाम करती है क्योंकि उसके जन बच्चों का एक ही धर्म है..युद्ध।

        रावण और उसकी सेना को युद्ध में नाशकर राम ने लंका न जीती होती तो वे भगवान न होते..! 

    राम इसलिए भगवान राम हैं क्योंकि उन्होंने जीवन भर दुष्टों से युद्ध किया..विश्वामित्र के आश्रम से दंडकारण्य और श्रीलंका तक और उसके बाद भी..धनुष उनका पर्याय है..आज भी..क्यों..!

पराक्रम ही ईश्वर है।

     सो इसलिए हम जितने भी देवी- देवताओं को पूजते हैं, सभी के सभी आयुधधारी हैं, अपने-अपने युद्ध लड़े हैं, दुष्टों का नाश करके राष्ट्र और समाज का कल्याण किया है।

         कर्मकांडियों, सुविधाभोगियों ने कभी नहीं चाहा कि युद्ध हो..!  देश का कार्पोरेट जगत, सुविधाभोगी वर्ग सदा से गिरगिट वंशजों की तरह व्यवहार किया और फोकटिए बौद्धिक, खोखले तर्कवादी किसी का भी तलुआ चाट सकते हैं, इसलिए वे सदा से युद्ध के विरुद्ध हैं। जेएनयूए बकवादी कहते हैं देश से लड़ो, फुटही स्कूलों से पढ़कर निकले यथार्थवादी देश के लिए लड़ने के पक्षधर हैं।

           खेत में किसान और सरहद में उसके जवान बेटे चौबीस घंटे युद्ध लड़ते हैं...उसकी संतानों को कभी कोई डर नहीं सताता आज भी नहीं..। 

         कुछ डरपोक अपनी खोल में बैठे विमर्श करते हैं कि पड़ोसी के पास एटमबम है हम बर्बाद हो जाएंगे.. पर जब स्वाभिमान ही नहीं बचेगा तो जिओगे भी तो मुर्दा बनकर..। 

       ऐसे ही मुर्दा लोग युद्ध की विभीषिका से डरते और डराते हैं..पर देश का हर किसान और हर जवान चाहता है कि आर पार हो..जिएं या मरें..पर उससे पहले कुछ करें।

       राष्ट्र युद्ध का अभिषेक माँगता है..हमारी पीढ़ी शून्य से फिर उठेगी और डरपोक बनकर खोल में घुसे रहने की बजाय लड़कर मर जाना चाहेगी।

      हर स्कूल  (पप्पुओं की पब्लिक स्कूलों में भी) सैन्य शिक्षा अनिवार्य हो, हर नागरिक को राष्ट्र के लिए युद्ध करने का प्रशिक्षण दीजिए (कारपोरेटी टायकूनों को भी)। 

      नेता गणों को यह नहीं भूलना चाहिए कि उड़ीसा के देवपुरुष कहे जाने वाले बीजू पटनायक  (कई बार मुख्यमंत्री व केन्द्रीय मंत्री रह चुके) फाइटर जेट के योद्धा पायलट थे।

       और कृष्ण का भी एक ही सूत्र वाक्य था..पार्थ हिजड़ापन न दिखा..'युद्ध कर'

      उन्हीं कर्मयोगी महापराक्रमी कृष्ण का गीता में उपदेश है..

खड्गेन आक्रम्य भुंजीतः,वीर भोग्या वसुंधरा ।।

अर्थात्

तलवार के दम पर पुरुषार्थ करने वाले ही विजेता होकर इन रत्नों को धारण करने वाली धरती को भोगते हैं।

     राम और कृष्ण इसलिए हमारे अभीष्ठ हैं क्योंकि दोनों ही युद्ध के देवता हैं, योद्धा हैं..शांति, युद्ध का ही भजनफल है..।

और अंत में.. बकौल डा.शिवओम अंबर

लफ्जों में हुंकार बिठा

लहजों में खुद्दारी रख

जीने की ख्वाहिश है तो

मरने की तैयारी रख।

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वरिष्ठ पत्रकार, प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक और मुखर वक्ता श्री जयराम सामयिक और ज्वलंत मुद्दों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं। श्री शुक्ल ने अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन करने के साथ पत्रकारिता में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। वे इन दिनों स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। कृषि और बागवानी में भी रूचि रखने वाले श्री जयराम शुक्ल रीवा में निवास कर रहे हैं।    

न्यूज़ सोर्स : जयराम शुक्ल