आलेख.....

मिज़ाज का हिस्सा बनता स्वच्छता का संकल्प

  •               संजीव शर्मा                                                                           

    मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आज देश में स्वच्छता का एक नया अध्याय लिख रही है। एक समय था जब यह शहर भी अन्य शहरों की तरह कचरे और गंदगी से जूझता था। लेकिन आज यह शहर देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार है। कभी जर्दा, परदा के साथ अपनी गर्दा यानि धूल के लिए बदनाम भोपाल आज देश की स्वच्छतम राजधानी है। बीते स्वच्छ सर्वेक्षण में झीलों का शहर भोपाल सबसे स्वच्छ राज्य की राजधानियों में शीर्ष पर है और देश भर के शीर्ष 10 स्वच्छ शहरों में 5वें नंबर पर है।

इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं मसलन:

नागरिकों की जागरूकता: भोपाल के नागरिक अब स्वच्छता को लेकर जागरूक हो गए हैं। वे अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों को साफ रखने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

नगर निगम के प्रयास: नगर निगम ने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कई पहल की हैं। इनमें कचरा निस्तारण की बेहतर व्यवस्था, सड़कों की नियमित सफाई, और नागरिकों को जागरूक करने के अभियान शामिल हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण: स्वच्छ सर्वेक्षण ने शहरों के बीच स्वच्छता को लेकर एक प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाया है। भोपाल ने इस प्रतिस्पर्धा में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।

    भोपाल में कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जा रहा है। शहर में कई कचरा निस्तारण संयंत्र हैं जो कचरे से ऊर्जा उत्पादन करते हैं। विगत वर्षों में भोपाल शहर में कचरा संग्रहण और प्रसंस्करण तंत्र बेहतर हुआ है, इस हेतु 719 वाहन शामिल हैं जिनमें 250 वाहन बायो सीएनजी आधारित हैं। इनके अलावा रोड स्वीपिंग हेतु 6 नए मेकेनिकल रोड स्वीपिंग वाहन अपने बेड़े में शामिल किए गए हैं। इसके अलावा भोपाल नगर निगम द्वारा 17 गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन, ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट हेतु श्रेडर आदि कचरा प्रसंस्करण हेतु शामिल किए गए हैं।  प्लास्टिक कचरे के शमन हेतु 5 टन प्रतिदिन का प्लास्टिक रिसायकल प्लांट तैयार किया गया है  जिसमें जिसमें मल्टीलेयर प्लास्टिक को निष्पादित किया जा रहा है ।  इसी प्रकार संभवतः देश का पहला थर्माकोल रिसायकल प्लांट और 3 टन प्रतिदिन क्षमता का रिसायकल प्लांट नारियल अपशिष्ट के निष्पादन हेतु स्थापित किया गया है। शहर की जरूरत के अनुसार 50 टन प्रतिदिन क्षमता का रेंडरींग प्लांट भी निगम द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसमें फिश, मीट मार्केट और स्लाटर हाउस से निकला हुआ अपशिष्ट निष्पादित किया जाता है। नगर निगम के इस प्रयास की भारत सरकार द्वारा भी सराहना की गयी है।

इन्हीं सब प्रयासों की वजह से भोपाल की सड़कें, पार्क, कॉलोनियाँ और सार्वजनिक स्थल साफ-सुथरे हैं। शहर में नियमित रूप से सफाई की जाती है और सड़कों पर कचरा फेंकने पर जुर्माना लगाया जाता है।

      भोपाल की इस सफलता का राज नागरिकों और सरकार के बीच सहयोग में निहित है। नागरिकों ने स्वच्छता को अपना धर्म बना लिया है और सरकार ने उन्हें हर संभव मदद दी है। भोपाल को स्वच्छ शहर बनाने का सफर अभी भी जारी है। हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। हमें सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि भोपाल हमेशा स्वच्छ और सुंदर बना रहे जैसे अपने घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें, कचरा हमेशा डस्टबिन में डालें, प्लास्टिक का उपयोग कम करें, पेड़ जरूर लगाएं और स्वच्छता अभियानों में भाग लें।

       भोपाल ने स्वच्छता के क्षेत्र में जो उपलब्धि हासिल की है, वह अन्य शहरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भोपाल को स्वच्छता में मिल रही इस सफलता का बहुत श्रेय काफी हद तक भोपाल नगर निगम के प्रयासों को भी जाता है। 2022 में 6वें स्थान से आगे बढ़ते हुए, भोपाल अब 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 5वां सबसे स्वच्छ शहर बन गया है। भोपाल को 5-स्टार गार्बेज फ्री सिटी रेटिंग भी मिली है, जिससे यह देश की सबसे राज्य की स्वच्छ राजधानी बन गई है।

      हाल के वर्षों में भोपाल की उन्नति का श्रेय इसके सर्वोत्तम अभ्यासों, नवाचार और विशिष्टता को दिया जा सकता है। शहर में प्रतिदिन 850 टन कचरा निकलता है और पूरे कचरे का प्रसंस्करण प्रतिदिन किया जाता है। नगर निगम की केन्द्रीय पहल जैसे कचरे का वैज्ञानिक निपटान, कचरे से कंचन बनाने की परियोजनाएं, कचरे का पुनर्चक्रण, सीएनजी से चलने वाले कचरा संग्रह वाहन, रिड्यूस, रीयूज रीसाइकिल-(3-आर) पर जोर विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कचरा संवेदनशील बिंदुओं को हटाकर शहर के सौंदर्य आकर्षण को बढ़ाया गया है। कचरे को अब सीएंडडी, बायो-सीएनजी और चारकोल संयंत्रों के माध्यम से कुशलतापूर्वक एकत्रित और संसाधित किया जा रहा है।

     इस पूरी प्रक्रिया में मध्य प्रदेश के नागरिकों ने जिस उत्साह के साथ भागीदारी की है, वह देश के सामने एक उदाहरण बनकर उभरा है। प्रदेश के इंदौर शहर ने 7 वर्षों में स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इसी कारण इंदौर को गोल्ड सिटी क्लब में शामिल किया गया है। आज इंदौर देश का ऐसा पहला शहर है जहां लोग अपने घर के कूड़े को दो नहीं बल्कि छह भागों में अलग-अलग करते हैं जिससे इसकी निष्पादन लागत में काफी कमी आई है। उनका यह प्रयास वेस्ट टू वेल्थ की परिकल्पना को साकार करता है। इन प्रयासों के चलते ही इंदौर आज डस्ट-फ्री एवं बिन-फ्री शहर बन गया है। इन्हीं मानकों के आधार पर गारबेज फ्री सिटी रेटिंग में भी इंदौर सेवन-स्टार शहर घोषित किया गया है। इंदौर देश का पहला वाटर-प्लस शहर भी बना है। वॉटर-प्लस श्रेणी के अंतर्गत घरों से निकलने वाले गंदे पानी को नदी या तालाबों में जाने से पूर्व ट्रीट किया जाता है जिससे पानी के अन्य स्रोत जल प्रदूषण से मुक्त होते हैं। साथ ही, इस पानी का पुनः उपयोग किया जाता है। इंदौर ने जन भागीदारी के माध्यम से अपने शहर की जीवन-रेखा कही जाने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों को नया जीवन प्रदान किया है।

     दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) सरकार का मात्र एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है। स्वच्छता की दिशा में प्रदेश के नागरिक और अन्य हितधारकों के सामूहिक प्रयासों से मध्य प्रदेश स्वच्छ, स्वस्थ व समृद्ध प्रदेश के रूप में उभरा है। मध्य प्रदेश में स्वच्छता अभियान के तहत कई काम किए जा रहे हैं। स्वच्छता अभियान के कारण प्रदेश में स्वच्छता के स्तर में सुधार आया है।

      आंकड़ों पर नजर दौडाएं तो प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में 7082 से अधिक मोटराइज्ड वाहनों से कचरा संग्रहण व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। इनमें सूखे, गीले, घरेलू हानिकारक और सेनेटरी अपशिष्ट को अलग-अलग रखने के लिये कम्पार्टमेंट बनाये गये हैं। जीपीएस और पीए सिस्टम से वाहनों की निगरानी और स्वच्छता विषयों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। गीले कचरे के प्रसंस्करण और निष्पादन के लिये स्पॉट कंपोस्टिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 850 से अधिक ठोस अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा स्पॉट कंपोस्टिंग की जा रही है। 

      प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में शुरू हुए स्वच्छता अभियान में मध्यप्रदेश अनेक कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। प्रधानमंत्री की मंशानुरूप प्रदेशवासियों ने पूरे उत्साह और जन-सहयोग से स्वच्छता के क्षेत्र में नये आयाम भी स्थापित किये हैं। इस वर्ष अभियान की थीम स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता’’ रखी गयी है। स्वच्छता ही सेवा अभियान में अधिक से अधिक जन-भागीदारी और स्थानीय निकायों की भागीदारी पर जोर दिया गया । मध्यप्रदेश स्वच्छ भारत मिशन में कई मामलों में लगातार नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है । प्रदेश के सभी शहरों ने पिछले 10 वर्षों के दौरान अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किये हैं। जनता के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन अब यहाँ जन-आंदोलन का रूप ले चुका है।

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न्यूज़ सोर्स : पसूका