क्या महाकुंभ के दौरान घर बैठे कर सकते हैं कल्पवास ?
क्या महाकुंभ के दौरान घर बैठे कर सकते हैं कल्पवास ?
प्रयागराज में चल रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ में देश विदेश के लाखों श्रद्धालु हर दिन पवित्र संगम में डुबकी लगाने आ रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कल्पवास व्रत भी रखा है. मान्यता है कि माघ महीने में कल्पवास करना बहुत शुभ और फलदायी होता है। यह एक महीने की कठोर तपस्या और साधना होती है।
क्या है कल्पवास ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में हजारों की संख्या में लोग कल्पवास करने आते हैं। कल्पवास करने वाले लोगों का मकसद सिर्फ एक होता है और वो है आत्मा की शुद्धि और परमात्मा के करीब जाना। इसके लिए लोग माघ का पवित्र महीना या महाकुंभ का समय चुनते हैं। लेकिन कई लोग इस अवस्था में रहते हैं कि उनके लिए इन दिनों में जाकर कल्पवास करना मुश्किल होता है और वे चाहकर भी नहीं जा पाते, तो ऐसे में उनके मन में सवाल होता है कि क्या महाकुंभ या माघ मेले के दौरान घर पर रहकर कल्पवास किया जा सकता है ?
क्या घर पर किया जा सकता है कल्पवास?
वैसे तो कल्पवास सिर्फ महाकुंभ क्षेत्र या किसी पवित्र नदी के किनारे ही किया जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति महाकुंभ क्षेत्र तक जाने में असमर्थ है तो घर में ही कल्पवास जैसा जीवन जीने की कोशिश की जा सकती है। लेकिन ध्यान रहे, कल्पवास के नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है। लेकिन घर पर कल्पवास करने में बहुत कठिनाईयां भी आती हैं क्योंकि कल्पवास के नियम बहुत ही कठोर होते हैं, जिनका पालन घर में करना संभव नहीं हो पाता। फिर भी यदि कोई व्यक्ति घर पर ही कल्पवास करना चाहता है तो नियमों का कड़ाई से पालन कर कल्पवास किया जा सकता है ।
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घर में कल्पवास करने के नियम
– अगर कोई व्यक्ति घर पर कल्पवास जैसा जीवन जीना चाहता है तो उसे सबसे पहले जल्दी उठकर गंगाजल मिलाकर जल से स्नान करना चाहिए।
– इसके बाद नियमित रुप से पूजा-पाठ, ध्यान और भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
– कल्पवास के दौरान सिर्फ सात्विक और शुद्धता से बना भोजन करना चाहिए।
– जब आप कल्पवास का पालन कर रहे हैं तो आपको मन में बुरे विचारों को त्यागकर धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए।
– इस दौरान जरूरतमंदों की सेवा करें और उन्हें सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य करें।
– कल्पवास के दौरान अनुशासन में रहें, ब्रह्मचर्य कापालन करें और जितना हो सके, मौन रहें।
– इस दौरान भौतिक सुख-सुविधाओं से भी दूरी बनाकर रखें। (साभार)