प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा, प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कुल 4,87,909 पद खाली पड़े हुए हैं। तब राज्य सरकार 1 लाख पदों को भरने की बात किस आधार पर कर रही है। राज्य सरकार को शीघ्र प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों के सभी खाली पदों को भरने का महाअभियान शुरू करना चाहिए।

सरोकार.................. 

मध्यप्रदेश में 4,87,909 पद खाली

बेरोजगार कर रहे इंतजार

                        डा. चन्दर सोनाने

            मध्यप्रदेश में अखिल भारतीय सेवा, प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कुल 12,09,321 पद स्वीकृत हैं। इन पदों में से केवल 7,21,412 पद ही भरे हैं। इस प्रकार प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों के कुल 4,87,909 पद वर्षों से खाली पड़े हुए हैं यानी प्रदेश में कुल स्वीकृत पदों में से केवल 59.65 प्रतिशत पद ही भरे हुए हैं। कुल स्वीकृत पदों में से 40.35 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। बेरोजगार वर्षों से इन खाली पदों की ओर आस भरी निगाहों से देख रहे हैं। किन्तु उन्हें निराशा ही मिल रही है।

             मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा डा. बी.आर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी आफ सोशल ,महू को मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग के आँकड़ों की रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया था। महू के विशेषज्ञों ने मध्यप्रदेश के 69 सरकारी विभागों के आँकड़ों का विश्लेषण करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। उसने यह रिपोर्ट तैयार कर मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग को सौंपे एक साल से अधिक समय हो गया है। उस रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में विभिन्न श्रेणियों में कुल स्वीकृत पद और रिक्त पदों की जानकारी भी है। इसके साथ ही रिपोर्ट में कुछ स्वीकृत पदों में से कुल भरे पदों की जानकारी के साथ ही सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अनूसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों की विस्तृत जानकारी भी शामिल की गई है।

                      उक्त रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के कुल 1,258 पद स्वीकृत है। इनमें से मात्र 625 पद ही भरे हुए है। भरे पदों से अधिक 633 पद खाली पड़े हुए हैं। इस प्रकार आधे से अधिक 50.31 प्रतिशत पद खाली हैं। प्रथम श्रेणी के कुल स्वीकृत पद 16,846 में से केवल 7,840 पद ही भरे हुए हैं। भरे पदों से अधिक 9,006 पद खाली पड़े हुए हैं। इस श्रेणी में भी आधे से अधिक 53.46 प्रतिशत पद खाली हैं। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी के कुल 1,28,032 स्वीकृत पदों में से केवल 57,696 पद ही भरे हैं। इस श्रेणी में भी आधे से अधिक 70,336 पद खाली पड़े हैं। यह खाली पदों का 54.93 प्रतिशत है।

            इसी प्रकार तृतीय श्रेणी के प्रदेश में कुल 9,21,631 पद स्वीकृत है। इस श्रेणी में 5,76,549 पद भरे हुए हैं। इस प्रकार इस श्रेणी में 3,45,082 पद खाली पड़े है। यह खाली पदों का 37.44 प्रतिशत है। इसी तरह चतुर्थ श्रेणी के कुल 1,41,554 पद स्वीकृत हैं। इसमें कुल 78,702 पद भरे हुए हैं। इस श्रेणी में 62,852 पद खाली पड़े हुए हैं। यह स्वीकृत पदों में से खाली पदों का कुल प्रतिशत 44.40 है।

   उपर्युक्त आँकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि अखिल भारतीय सेवा, प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के कुल स्वीकृत पदों में से आधे से अधिक पद भी भरे ही नहीं गए हैं। इन उक्त तीनों श्रेणियों में खाली पदों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक है। यह अत्यन्त दुखद है। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद जरूर 50 प्रतिशत से अधिक भरे हुए है। किन्तु इसमें भी खाली पदों की संख्या हमें निराश करती है।

               उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का तेजी से बढ़ता हुआ आंकड़ा चैंकाने वाला है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में साल 2024 में जुलाई के समय 25 लाख 82 हजार बेरोजगार थे। जबकि दिसंबर में ये संख्या बढ़कर 26 लाख 17 हजार हो गई। लेकिन मार्च 2025 में ये आंकड़ा 29 लाख 36 हजार तक पहुंच चुका है। बेरोजगारों की बढ़ती हुई जनसंख्या निःसंदेह चिंताजनक है।

            मध्यप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान की सरकार ने अनेक बार ये घोषणा की थी कि सरकारी नौकरियों में 1 लाख पद भरे जायेंगे। किन्तु उनके मुख्यमंत्री रहते हुए कभी एक लाख पद भरे ही नहीं गए। इसी प्रकार वर्तमान मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने भी अनेक बार ये घोषणा की है कि प्रदेश में 1 लाख बेरोजगारों को नौकरियां दी जायेगी, किन्तु बेरोजगार अभी भी उन नौकरियों का इंतजार ही कर रहे हैं।

          प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा, प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कुल 4,87,909 पद खाली पड़े हुए हैं। तब राज्य सरकार 1 लाख पदों को भरने की बात किस आधार पर कर रही है। राज्य सरकार को शीघ्र प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों के सभी खाली पदों को भरने का महाअभियान शुरू करना चाहिए। यह सब योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए, तभी बेरोजगारों के साथ न्याय हो सकेगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव एक विशेष विजन रखने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते है। उनसे अपेक्षा है कि वे बेरोजगारों के इंतजार को समाप्त करेंगे।

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डा. चंदर सोनाने मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग से संयुक्त संचालक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उज्जैन में निवास कर रहे हैं। उनकी सामयिक और सामाजिक विषयों पर विशेष रूचि है और वे “सरोकारस्तम्भ मे जरिये जनहित से सरोकार रखने वाले मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय व्यक्त करते हैं।  

 

न्यूज़ सोर्स : डा. चंदर सोनाने