सरकार को नहीं पता कितना है ई-कचरा
सरकार को नहीं पता कितना है ई-कचरा
भारत में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक उपकरणों का उपयोग लगातार बढ़ते जा रहा है. इसी के साथ इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक उपकरणों और वस्तुओं का उत्पादन भी बढ़ रहा है. आमतौर पर इनका उपयोग करने के बाद घर के कचरे के साथ फेंक देते हैं या कबाड़ियों को बेच देते हैं. ये कबाड़ी इनका पारम्परिक रूप से निपटान कर काम का सामान उपयोग में ले लेते हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्पष्ट निर्देश हैं कि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक उपकरणों का सुरक्षित निपटान करने के लिये पंजीकृत कबाड़ियों को ही देना चाहिये. लेकिन ऐसा बहुत कम हो रहा है. यदि इनका सुरक्षित निपटान नहीं किया गया तो ये पर्यावरण के साथ मानव के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक होते हैं. हालांकि स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने के बाद शहरों में घर – घर से कचरा ले जाने के लिये कचरा वाहन की व्यवस्था की गई जिसमें ई-कचरा रखने का एक अलग डिब्बा बनाया गया है लेकिन बहुत कम नागरिक अपने घरों से निकलने वाले फ्यूज बल्ब, घड़ी, टार्च, केलकुलेटर के सेल, फ्यूज ट्यूबलाईट्स, बिजली के तार आदि ई कचरे के लिये कचरा वाहन में निर्धारित डिब्बे में नहीं डालकर सूखे या गीले कचरे में ही डाल देते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में तो ये सामान और उपकरण बाहर ही फेंक दिया जाता है.
ई-कचरा प्रबंधन नियमों के तहत, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों की कमी का प्रावधान किया गया है। इसमें यह आवश्यक कर दिया गया है कि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके घटकों के प्रत्येक निर्माता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पादों में अधिकतम निर्धारित मात्रा से अधिक सीसा, पारा और अन्य खतरनाक पदार्थ नहीं हैं। ई-कचरा (प्रबंधन) नियम में ई-कचरे के निराकरण और पुनर्चक्रण में शामिल श्रमिकों की पहचान एवं पंजीकरण, कौशल विकास, निगरानी एवं सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने का भी प्रावधान किया गया है। लेकिन ये प्रावधान किस काम के जब इनका क्रियांवयन ही सुनिश्चित नहीं किया गया है. यह इसलिये भी है कि सरकार को भी पता नहीं है कि अनौपचारिक क्षेत्र में काम में लिए जा रहे ई-कचरे की मात्रा कितनी है। आज संसद में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लोखित उत्तर में बताया कि अनौपचारिक क्षेत्र में काम में लिए जा रहे ई-कचरे की मात्रा के बारे में सरकार को कोई अनुमान नहीं है.
हालांकि, सरकार ने देश के ई-कचरा पुनर्चक्रण क्षेत्र को औपचारिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 के अनुसार, ई-कचरे के निराकरण और पुनर्चक्रण इकाइयों के लिए संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, प्रदूषण नियंत्रण समितियों से अनुमति लेना अनिवार्य है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ई-कचरे के प्रसंस्करण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 को व्यापक रूप से संशोधित किया है और नवंबर, 2022 में ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है। यह 1 अप्रैल, 2023 से लागू है। इन नए नियमों का उद्देश्य ई-कचरे का पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निपटान करना और ई-कचरा पुनर्चक्रण के लिए एक बेहतर विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) व्यवस्था लागू करना है, जिसमें सभी निर्माता, उत्पादक, नवीनीकरणकर्ता और पुनर्चक्रणकर्ता को सीपीसीबी के बनाए गए पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है। ये नए प्रावधान इस अनौपचारिक क्षेत्र को व्यवसाय करने के लिए औपचारिक क्षेत्र में बदलेंगे और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से ई-कचरे का पुनर्चक्रण सुनिश्चित करेंगे। इसमें पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और सत्यापन एवं लेखापरीक्षा के प्रावधान भी हैं। ये नियम ईपीआर व्यवस्था और ई-कचरे के वैज्ञानिक पुनर्चक्रण/निपटान के माध्यम से सर्कुलर इकोनॉमी को भी बढ़ावा देने वाले हैं।