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आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

गणित में जीवन 

गणित विषय सामान्यतया 

कठिन माना जाता है 

लेकिन जिनको गणित 

समझ में आ जाता है 

उनके लिए वह सर्वाधिक 

प्रिय विषय हो जाता है।

 

भाषा

हिंदी अंग्रेजी इत्यादि 

भाव और विचारों

कल्पनाओं को व्यक्त 

करने की भाषा है तो 

गणित विज्ञान को 

समझने की भाषा है। 

गणित के बगैर 

किसी भी भौतिक विज्ञान को 

समझा ही नहीं जा सकता है।

 

सूत्र और सिद्धांत

जितने भी प्रामाणिक सिद्धांत हैं

उनका निरूपण, प्रस्तुतीकरण 

गणितीय सूत्र के माध्यम से 

अवश्य ही किया जा सकता है।

मानवीय स्वभाव एवं 

व्यवहार को शब्दों से या 

शब्द रूपी सिद्धांतों 

के माध्यम से बतलाने 

की कोशिश होती है, जबकि 

भौतिक जगत के सिद्धांतों को 

सूत्रों के माध्यम से 

व्यक्त किया जा सकता है।

और यह सूत्र निश्चित होते हैं।

 

सार्वभौमिकता

गणित के सिद्धांत 

सार्वभौमिक होते हैं

उनके प्रयोग और 

अनुप्रयोग को सामान्यतया 

बुद्धिमत्ता को मापने का 

पैमाना माना जाता है

और इसीलिए कदाचित 

प्रतियोगी परीक्षाओं में 

गणित एक अनिवार्य विषय 

अवश्य होता है।

 

समाधान

गणित बतलाता है कि

हर समस्या का समाधान 

अवश्य ही होता है। 

अंतर केवल इतना है कि 

गणित के सवालों के 

हल निकालने के लिए

पूरी जानकारी या डाटा 

उपलब्ध होना चाहिए 

लेकिन जीवन में 

समाधान निकालने के लिए 

जो कुछ भी हमें उपलब्ध है

जो भी हमारा वर्तमान है

जो भी परिस्थितियां हैं,

जो भी हमारा जीवन है

उसी में से

हमको, अपने 

समाधान खोजने होते हैं।

 

आवश्यक एवं पर्याप्त 

गणित से यह सीख मिलती है 

कि सवाल को हल करने के लिए 

कितनी जानकारी आवश्यक है 

और कितनी पर्याप्त है।

यहीं हमें यह पता चलता है 

कि जितना न्यूनतम आवश्यक है 

वही पर्याप्त है। 

दोनों में कोई भेद नहीं है।

 

सोच और समझ

गणित के सूत्रों को 

ध्यान से समझ लिया जाए 

उनका पर्याप्त अनुप्रयोग 

कर लिया जाए तो 

मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि

हमारी सोच और समझ में 

निश्चित रूप से 

बढ़ोतरी होती है।

 

आइये आज हम 

विचार करें कि गणित के 

ऐसे कौन-कौन से सूत्र हैं 

जिनका उपयोग हमारे 

अभी तक के

जीवन में हुआ है?

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं