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आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

अनुभूति और अभिव्यक्ति

 

 अनुभूति वह है,

 जो हमारे अनुभव से आती है

और अभिव्यक्ति वह है जिसे हम प्रकट करते हैं

या शब्दों में व्यक्त करते हैं

जो कुछ भी घटित हो रहा है

उसकी अनुभूति का संबंध

हमारे स्वयं के मनोभाव से जुड़ा होता है

एक ही घटना या दृश्य की अनुभूति

भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को

भिन्न-भिन्न प्रकार से हो सकती है

क्योंकि उनके अपने व्यक्तिगत मनोभाव होते हैं

धारणा होती हैं, विचार होते हैं और समझ होती है

अनुभूति व्यक्तिगत अनुभव का विषय है..  

अनुभव निरंतर होते रहते हैं

किंतु जब हम अनुभव के प्रति सजग होते हैं

तो वह हमारी अनुभूति हो जाती है 

हमारे अनुभव और उनसे उपजी

हमारी अनुभूति ही हमें परिपक्वता की ओर ले जाती है 

हर मनुष्य अपने अनुभवों का पुतला ही होता है

हम जो भी कुछ अभिव्यक्त करते हैं

वह सब हमारे ज्ञान अनुभव और

अध्ययन पर आधारित होता है 

किंतु जो अभिव्यक्ति हमारे अनुभव और

अनुभूति पर आधारित होती है

उसमें ही सत्यता नजर आती है

और प्रभाव भी उसी का होता है

केवल ज्ञान और अध्ययन पर आधारित

अभिव्यक्ति जो

अनुभव से शून्य हो

वह बौद्धिकता का प्रदर्शन मात्र है 

एक समस्या यह आती है कि हम

अपनी अभिव्यक्ति में

सहज, सरल और ईमानदार नहीं रह पाते हैं 

वहां हम दिखावा कर जाते हैं

और तब हमें

अनेक समस्याओं का

सामना करना पड़ता है 

हम अपने अंदर भी ग्लानि भाव का

अभिव्यक्ति के अधूरेपन का अनुभव करते हैं

इससे बचने के लिए उचित है कि हम

अपनी अभिव्यक्ति में

सदैव सरल, सहज और ईमानदार रहें 

मुझे जांचना होगा कि

मैं अपनी अनुभूति के लिए

अपने अनुभवों के प्रति

प्रतिक्षण कितना सजग हूं ?  

और अपनी अभिव्यक्ति के लिए

मैं कितना सहज हूं,

सरल हूं,

स्पष्ट हूं और

 ईमानदार हूं

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं