आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो... आज का चिंतन संजय अग्रवाल
आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...
आज का चिंतन
* संजय अग्रवाल
मजाक
रोजमर्रा के जीवन में
हास परिहास के अंतर्गत
मजाक करना
मजाक सहना
खुद का मजाक बनना और
दूसरों का मजाक बनाना
सामान्य व्यवहार होता है।
हल्का-फुल्का मजाक
मन को आनंदित करता है
किंतु
मजाक की आड़ में
दूसरों से अपमानित होना या
किसी गंभीर बात को
दूसरे के द्वारा
मजाक में उड़ा दिया जाना
दुख पहुंचाता है।
स्पष्टता
जब भी कभी मजाक किया जाए
तो उसके बाद बातचीत में
यह स्पष्ट कर दिया जाए कि
कौन सी बात मजाक में कही गई
और किस बात को
गंभीरता से लेना है तो
वह संवाद और मजाक,
दोनों ही सार्थक, सहज,
स्वीकार्य एवं अर्थपूर्ण
हो जाते हैं।
समझ
मजाक संवाद नहीं है
और संवाद मजाक नहीं है
इसकी भरपूर समझ
सभी संबंधित व्यक्तियों
को होनी चाहिए अन्यथा
समझ में अंतर हो जाने से
मनों में मलिनता आती है
और रिश्तों में खराबी।
क्या करना चाहिए
यदि किसी का मजाक
हमें पसंद नहीं आ रहा
तो उसे स्पष्ट रूप से
बतला देना चाहिए कि
यह मुझे पसंद नहीं है,
आप कृपया ऐसा नहीं करें।
साफ बोलना और खुश रहना
ही मूल मंत्र है।
और यदि दूसरा ना माने तो
उसे इग्नोर करने के अलावा
कोई दूसरा उपाय नहीं होता है।
स्वयं को दुख नहीं पहुंचाना है,
इसी में समझदारी है।
प्राथमिकता
दूसरों में बदलाव लाना
कतई संभव नहीं है
और दूसरों की
गलत सोच या व्यवहार से
खुद को दुखी करना या
खुद दुखी हो जाना
कतई उचित नहीं है।
हमें जीवन में स्वयं को
प्राथमिकता देनी ही होगी।
उसी से हम स्वयं को
संतुलित रख सकते हैं
और सुखी रह सकते हैं
अन्यथा दुख निश्चित है।
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- श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं। इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं। मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं।