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आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

मनःस्थिति

 

हमारे भीतर विचारों की श्रृंखला 

लगातार चलती रहती है। 

बाहरी वातावरण, परिस्थितियां 

और लोगों के व्यवहार भी 

हमें निरंतर प्रभावित करते हैं। 

हमारी स्वयं की भी आशाएं

अपेक्षाएं, डर, निराशा, उत्साह,

लक्ष्य प्राप्ति इत्यादि के भाव 

हमारे अंदर अनवरत 

प्रवाहित होते ही रहते हैं।

यही सब मिलकर हमारी 

मनःस्थिति का निर्माण करते हैं।

 

व्यवहार 

दूसरों के साथ जो व्यवहार 

या प्रतिक्रिया हम करते हैं 

उसमें बहुत बड़ी भूमिका 

हमारी मनःस्थिति की होती है 

जिसे सामने वाला पूरी तरह 

कदाचित ही समझ सकता है। 

वह तो प्रत्यक्ष व्यवहार को 

ही सब कुछ मानता है। 

यद्यपि उसके पीछे अप्रत्यक्ष 

बहुत कुछ छिपा होता है।

 

समझ

समझ की गहराई का आकलन 

इसी से होता है कि जो  

कहा नहीं गया या 

अव्यक्त रह गया 

उसकी अनुभूति हम कर पाएं,

उसका अनुभव कर पाना ही 

परिपक्वता की निशानी है।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं