आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो... आज का चिंतन.. संजय अग्रवाल
आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...
आज का चिंतन
* संजय अग्रवाल
श्रेष्ठता का आग्रह
कई लोग लिखना चाहते हैं
और लिख नहीं पाते
क्योंकि वह सोचते हैं कि
मैं जो भी लिखूं
वह श्रेष्ठ ही हो
और इसके चलते
वह लिखना प्रारंभ
ही नहीं कर पाते।
इसी प्रकार कई ऐसे काम है
जहां श्रेष्ठता की प्राप्ति
के लक्ष्य के कारण व्यक्ति
कार्य की शुरुआत
ही नहीं कर पाता है।
प्रारंभ तो करें
किसी भी बड़े काम की शुरुआत
एक छोटे से कार्य से,
एक छोटे से प्रयास से,
एक छोटे से कदम से होती है।
उसके बाद तो
एक और कदम
एक और प्रयास
का सिलसिला जब
शुरू हो जाता है तो
वह अनवरत रूप से
चलता जाता है।
रुकावटें
कुछ भी करने के लिए
पहली और अंतिम रुकावट
मात्र आपकी स्वयं की
मानसिक अवस्था ही है।
चेतना का,
ऊर्जा का अभाव भी
इसी नकारात्मक मानसिकता
या टालमटोल की प्रवृत्ति
का परिणाम है।
कदम दर कदम
यदि हम किसी कार्य को
शुरू कर देते हैं तो
फिर हमारे सामने धीरे-धीरे
सभी संभव रास्ते
खुलते चले जाते हैं और
शनै: शनै: हमारा कार्य
आगे बढ़ता चला जाता है।
यह लालटेन की रोशनी
के साथ सतत आगे
चलते जाने की
यात्रा जैसा है।
व्यक्ति और समष्टि
यदि आप किसी कार्य को
पूरे मन से करते हैं
तो सृष्टि भी
उसमें आपकी
भरपूर सहायता करती है
इसीलिए अभीष्ट है कि
हम उस कार्य में स्वयं को
पूरी तरह झोंक दें,
कोई कसर न छोड़ें।
संशय और निराशा के भाव
या अधूरे मन से
किए गए प्रयास
कभी भी फलीभूत
नहीं होते हैं।
मुझे जांचना होगा कि
अपने मन के कार्य को
करने के लिए मैंने
शुरुआती पहला कदम
उठाया है या नहीं?
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- श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं। इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं। मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं।