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आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

PPP - Point, Position, Purpose

 

किसी भी कार्य को करने के लिए

इन तीन बातों को जानना

आवश्यक होता है -

पहला है पॉइंट

अर्थात विषय क्या है,

कार्य का स्वरुप क्या है,

अर्थात करना क्या है,

यह स्पष्ट रूप से

पता होना चाहिए।

दूसरा होता है पोजीशन

अर्थात कार्य के संबंध में

वर्तमान स्टेटस क्या है

अर्थात वस्तु स्थिति क्या है।

और तीसरा होता है

परपज यानी उद्देश्य

कि यह कार्य हमें

करना क्यों है अर्थात

कार्य करने का

अंतिम उद्देश्य क्या है।

 

कार्य में व्यवधान

कई बार कार्य करने वाला

साथी या टीम मेंबर

उस कार्य की विषय वस्तु

को न बतलाते हुए

यह समझाने की

कोशिश करता है कि

यह कार्य क्यों नहीं हो सकता।

ऐसा वह इसलिए करता है

कि उसे कार्य न करना पड़े।

उसके इस प्रकार के

बतलाने से कोई लाभ

इसलिए नहीं होता

क्योंकि यदि हमें

कार्य का स्वरूप

और उस कार्य की

वर्तमान स्थिति का

और अंतिम उद्देश्य का

पता है तो

हम

उस कार्य को

करने की दिशा में

योजनाबद्ध तरीके से

आगे बढ़ सकते हैं

और कार्य निश्चित ही

पूर्ण कर सकते हैं।

 

कार्य की दिशा

यदि कार्य का उद्देश्य

यानी परपज पता है तो

वर्तमान स्थिति से

शुरू करके उद्देश्य तक

अवश्य ही पहुंचा जा सकता है।

उसके लिए हमें उचित

रास्ता पकड़ना होगा

और यदि कोई समस्या

आ रही है तो

उसका समाधान

करना होगा,

उपाय निकलना होगा,

उपाय निकलता अवश्य है।

 

कार्य की पूर्ति

कोई भी कार्य ऐसा नहीं होता

जिसको पूर्ण न किया जा सके।

इसके लिए आवश्यकता होती है

सही मानसिकता की,

सकारात्मक सक्रियता की,

समाधान वाली सोच की

और भरपूर आत्मविश्वास की।

इससे हम अपने अभीष्ट लक्ष्य

को अवश्य प्राप्त कर सकते हैं।

 

मुझे जांचना होगा कि

मैंने अपने कार्य

के स्वरूप को,

उसकी वर्तमान स्थिति को,

और उसके उद्देश्य को,

स्पष्टता से समझ लिया है

या नहीं?

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं