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आज का चिंतन

  • संजय अग्रवाल  

 

पछतावा

 

हम में से हर एक को

जीवन में कोई ना कोई

पछतावा अवश्य रहा है कि

हम यह नहीं कर पाए या

हमसे यह गलत हो गया था

 

पछतावा कब

जीवन में पीछे जो कुछ

घट गया है

उसमें यदि हमसे कुछ

गलत हो गया है और

कुछ अच्छा करने से

हमसे रह गया है तो

पछतावा केवल

उसी का होता है

जीवन में जो

स्वयं घटित हुआ

उसके लिए

शिकायत हो सकती है

किंतु पछतावा नहीं होता या

जीवन में क्या होगा

इसकी चिंता होती है

पछतावा नहीं

 

पछतावा क्यों

यूं तो जीवन में हमसे

बहुत सी गलतियां होती हैं

या बहुत सा अच्छा

करने को रह जाता है

लेकिन पछतावा केवल

उसी चीज का होता है

जिससे हमें ना भूल सकने वाली

हानि हो गई हो या

ऐसी गलती हो गई हो

जिसे सुधारा न जा सके

अर्थात या तो

संबंध बिगड़ गए हों

या वह संबंध अब

पुराने रूप में नहीं आने वाले

या कई मौके छूट गए हों

और वह अवसर हमें

अब दोबारा नहीं मिलने वाले

 

दूसरों की गलती

हमें पछतावा हमेशा

अपनी गलतियों के लिए होता है

और यह पछतावा

फांस की तरह चुभता है

दूसरों की गलतियों के लिए

हमें शिकायत हो सकती है

उनसे बुराई हो सकती है

लेकिन पछतावा नहीं होता है

 

क्या करें जब पछतावा हो

जो बीत गया

वह तो अब कभी भी

वापस नहीं आने वाला

लेकिन यह पछतावे का एहसास

हमारे लिए सीख का

एक अवसर बन सकता है

जितना बड़ा पछतावा

उतनी ही बड़ी सीख और

उसके लिए उतना ही बड़ा

प्रण और संकल्प

कि आगे से ऐसा कोई कार्य

या भूल नहीं करेंगे

जिससे दोबारा ऐसा

पछतावा होने की स्थिति आए

इसी प्रण और संकल्प से

हमारे जीवन में

प्रगति होती है

होती चली जाती है

जितने भी लोग सफल हुए हैं

उन्होंने अपनी गलतियों से

सीखा, सुधार किया और उत्तरोत्तर

श्रेष्ठ करते चले गए

श्रेष्ठ होते चले गए

 

पछतावा अनिवार्य है

मनुष्य गलतियों का

पुतला ही तो है

ऐसा कौन है

जिससे गलतियां नहीं होती

किंतु समझदार वही है

जो उन गलतियों से

कुछ सीख लेता है

अपनी समझ को

बढ़ा लेता है

स्वयं परिपक्व हो जाता है

और अपने जीवन को

बेहतर बना लेता है

 

मुझे जांचना होगा कि

क्या, मैंने अपने जीवन के

पछतावों को

सीख में

समझ में

और संकल्प में

बदल दिया है

 

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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभागनागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्कसंवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं