आज का चिंतन

   * संजय अग्रवाल

 

बात हो जाए

कई बार हमें महसूस होता है

कि किसी विषय या समस्या पर

किसी से बात हो जाए

लेकिन हमें या तो उपयुक्त

व्यक्ति नहीं मिलता या समय।

 

तलाश

अपने मन की बात कहने या

रखने के लिए सही समय पर

सही व्यक्ति मिल जाए और

उससे बात हो जाए तो

उपाय मिल जाता है

संतुष्टि हो जाती है

इसके लिए निरंतर प्रयास ही

एकमात्र तरीका है।

 

पहल

बातचीत में पहल यथासंभव

हमें कर लेनी चाहिए

अन्यथा बाद में पछतावा

ही शेष रह जाता है।

 

अपेक्षा

सामने वाला हमेशा

हमारे अनुकूल ही बात करे

यह सदैव संभव नहीं होता है।

उसके मौलिक विचारों को

जानना और अपने परिप्रेक्ष्य में

समझना ही उचित होता है।

 

संकोच

मेरी बात रही मेरे मन में

कुछ कह ना सकी उलझन में।

संकोच को छोड़कर

हमें अपनी बात

सरलता और सहजता

से रखना चाहिए

यही अभीष्ट होता है।

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* श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संंयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं. इसीलिए उन्होंने अपने परिचय के साथ संपर्क, संवाद, सृजन और स्पर्श लिखा है.  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं. सुधी पाठक उनका चिंतन पसंद कर रहे हैं.