सुबह को पैदल चल, अनगिनत लाभ हर पल ( डा. अनिल भदोरिया का आलेख )
स्वास्थ्य चर्चा .....
सुबह को पैदल चल, अनगिनत लाभ हर पल
- डॉ. अनिल भदौरिया
सामान्य व्यक्ति के लिए प्रातः काल में पैदल चलने मात्र की सरलतम व्यायाम शैली से सैकड़ों लाभ होते हैं और आपके शारीरिक मानसिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं. बिना पैसे के खर्च के घर की छत या आंगन या पोर्च या पड़ोस के बगीचे या सड़क पर ही एक दिशा में किनारे-किनारे मंथर गति से चलते चले जाने से मात्र से ही शरीर की 640 मांसपेशियों, 206 अस्थियों, 72 हजार नाड़ियों और 6 लीटर रक्त का प्रवाह नई ऊर्जा से भर जाता है।
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जीवनशैली रोगों की एक बड़ी श्रंखला ने एक बड़ी संख्या में जवान, बच्चे, स्त्री पुरुष या वृद्ध सभी को थोड़ा या ज्यादा जकड़ लिया है। महंगी होती दवाइयां, उपचार के लिए अस्पतालों का बिल और रोगों की पहचान के लिए जांचों के भंवर जाल में आम व्यक्ति उलझा दिखाई पड़ता है। दवाई की दुकान हो या सरकारी या निजी कॉरपोरेट्स अस्पताल या स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध लेबोरेटरी जाँच की कारपोरेट कंपनियों की प्रतीक्षा कक्ष में बढ़ती भीड़ को देख भारतीयों के स्वास्थ्य का निम्न स्तर निश्चित रूप से दिखाई पड़ता है। मानव शरीर, मशीन की भांति होता है जिसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ सरल उपायों का पालन प्रतिदिन किए जाने से बीमारियों से बचा जा सकता है जो प्रिवेंटिव याने रोगों से बचाव के विज्ञान का मूल आधार है। इन सरल उपायों के दैनिक पालन से ही असाध्य बीमारियों से ग्रसित रोगी भी अपनी बीमारी को नियंत्रित रख सकते हैं।
शरीर का मौलिक व नैतिक स्वभाव है कि वह अपने को स्वस्थ बनाने का बनाए रखने का प्रयास करता है। यह शरीर की प्राकृतिक अंदरूनी व्यवस्था है। पिछले 30 वर्षों में कई जीवन शैली रोग पनप गए हैं जिनसे शारीरिक मानसिक एवं सामाजिक रोगों की श्रेणी में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। शारीरिक जीवन शैली रोग श्रेणी में मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप व हार्मोन से संबंधित रोगों का समावेश हुआ है। मानसिक जीवन शैली रोग में अवसाद, तनाव, पागलपन एवं आत्महत्या की प्रवत्ति जैसी स्थितियों का समावेश भी हुआ है जबकि सामाजिक रोग श्रेणी में श्रेष्ठता का दंभ, प्रतिस्पर्धा का रोग, स्तरीय भाव जैसी नियंत्रित की जाने योग्य स्थितियों का सम्मेलन हुआ है।
जीवन शैली रोगों के प्रभावी नियंत्रण के लिए औषधि उपचार से यह बेहतर है कि रोगों की रोकथाम एवं बचाव के आसान उपायों की जानकारी बाल्यकाल अवस्था में ही बच्चों को करा दी जाए ताकि अपनी युवावस्था, अधेड़ अवस्था या वृद्ध अवस्था में भी वे स्वस्थ रहने के प्रिवेंटिव उपायों का पालन करते रह सके। आज के आधुनिक काल में जब क्लब संस्कृति का एवं जिम्नेशियम संस्कार का प्रभाव बढ़ा है, निशुल्क उपलब्ध होने वाले देशी व्यायाम शैली का आज भी कोई जोड़ और तोड़ नहीं है जो सरल होने के साथ-साथ विशेष प्रशिक्षण के बिना विशेष परिस्थिति की अनिवार्य स्थितियों के बिना ही किए जा सकते हैं।
सामान्य व्यक्ति के लिए प्रातः काल में पैदल चलने मात्र की सरलतम व्यायाम शैली से सैकड़ों लाभ होते हैं और आपके शारीरिक मानसिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं। बिना पैसे के खर्च के घर की छत या आंगन या पोर्च या पड़ोस के बगीचे या सड़क पर ही एक दिशा में किनारे-किनारे मंथर गति से चलते चले जाने से मात्र से ही शरीर की 640 मांसपेशियों, 206 अस्थियों, 72 हजार नाड़ियों और 6 लीटर रक्त का प्रवाह नई ऊर्जा से भर जाता है। सुबह एक घंटा याने 60 मिनट पैदल चलने से होने वाले लाभ कुछ इस प्रकार हैं
मजबूत फेफड़े - शुद्ध वायु सेवन से फेफड़ों की श्वसन शक्ति में वृद्धि होती है जिससे शरीर की शक्ति में वृद्धि होती है।
विटामिन की प्राप्ति - धूप में रहने पर विटामिन-डी का शरीर में ही निर्माण हो जाता है।
मजबूत अस्थियां - पैदल चलने से अस्थियों पर पड़ने वाले दबाव से हड्डियां मजबूत होती हैं ।
मजबूत मांसपेशियां - मांसपेशियों की मशीन की भांति परिचालन से रक्त प्रवाह में तेजी होने से मांसपेशियों के शक्ति में अनिवार्य बढ़ोतरी होती है।
रक्त शर्करा नियंत्रण - रक्त में शक्कर का खर्च पैदल चलने के बाद बढ़ जाने से ग्लूकोज के स्तर में कमी आ जाती है।
उच्च रक्तचाप नियंत्रण - पैदल चलने से निकलने वाले पसीने में सोडियम का निकास होता है जिससे उच्च रक्तचाप के रोगी सामान्य रक्तचाप के स्तर तक आ सकते हैं।
लचीली वाहिनी - शरीर में उपस्थित धमनी एवं शिरायें व स्नायु तंत्र में पैदल चलने से विश्राम की अवस्था आने से वाहिनियों के लचीलापन में वृद्धि होती है।
अच्छा मन - पैदल चलने से कतिपय अच्छे हारमोंस का श्रावण अंतः स्त्रावी ग्रंथियों से होता है जिससे मूड एलिवेशन हो जाता है और मन को अच्छा लगता है।
वसा में कमी - पैदल चलने से ऊर्जा का निरंतर खर्च होता है जिससे वसा का गलना शुरू होता है जो 45 मिनट के पैदल चलने के बाद ही प्रारंभ होता है।
नैतिक भाव की उत्पत्ति - प्रकृति के आगोश में रहने से पैदल चलते हुए सहजीवन का एक भाव जागृत होता है जो प्रकृति के जीवों को देखकर उत्पन्न होता है।
सकारात्मक नई उर्जा - भोर में उगते हुए सूर्य के पावन दर्शन करने से एक नई सकारात्मक ऊर्जा से मन प्रफुल्लित होता है जिससे दिन भर एक अच्छा भाव बना रहता है।
आध्यात्मिक जागृति - माने या ना माने पैदल चलने मात्र से पर्यावरण के विभिन्न तत्वों जैसे चिड़िया, फूल, फल, पत्तियां, पेड़, पौधे इत्यादि के साथ रहने से मन की आध्यात्मिक स्थिति स्थापित होती है जो विभिन्न किस्म का जीवन दर्शन से आपका साक्षात्कार कराती है।
आत्मखोज – पैदल चलते समय स्वयं से एकांत में चर्चारत हो अपने सबसे उत्तम मित्र याने खुद से बात कर खुद को समझने की प्रक्रिया ‘अप्प दीपो भव’ जैसे भाव से आत्म खोज को प्रदर्शित करा देती है।
आनंद भाव - वायु के बहते संस्कार को त्वचा पर स्पर्श द्वारा मन को आनंदित होने का भाव जागृत होने से आपके मन की अवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
मजबूत जोड़ - शरीर के सभी बड़े और छोटे जोड़ों को पैदल चलने में पूर्ण रेंज में चलाने से रक्त प्रभाव सुनिश्चित होता है और दोनों पैरों के जोड़ों के चलाएं मान होने से उन में मजबूती आती है।
मजबूत लिगामेंट - पैदल चलने के पूर्व वार्म अप करने में जब आप स्ट्रेच करते हैं तब अस्थियों को जोड़ने वाले लिगमेंट को अनिवार्य रोज एवं शक्ति प्रदान होती है
आपकी शारीरिक क्षमताओं की पहचान - शरीर की अपनी क्षमता और शक्ति की पहचान करने में आपके सुबह के 1 घंटे के पैदल चाल के अंत में आपको अंदाज लग जाता है।
मजबूत ह्रदय - हृदय की गति बढ़ाकर एक प्रकार से ट्रेडमिल जैसी स्थिति उत्पन्न करने पर हृदय को प्रतिस्पर्धा योग्य बनाने में आप का पैदल चलना बड़ा सहायक है।
प्राण वायु की खुराक - प्राण वायु की खुराक नासिका द्वारा वायु प्रवाह को तेज गति से लेने से फेफड़ों की वाहिकाओं के 100% क्षेत्र में नवीन प्राणवायु के प्रवेश होने से रक्त का शुद्धिकरण बेहतर हो जाता है।
विषैले तत्वो का निकास - रक्त परिसंचरण के बढ़ने से शरीर के समस्त अंगों में प्रभाव बढ़ने से पसीने के मार्ग से विषैले तत्वों का निस्तारण हो जाता है।
कब्ज से मुक्ति - निरंतर पैदल चलने के साधारण व्यायाम से ही पेट की 6 मीटर लंबी आंतों को गति मिलती है जिससे कब्ज दूर होता है।
अवसाद में कमी - निरंतर अभ्यास से जीने के नए उत्साह का संचार होता है जिससे डिप्रेशन या अवसाद में अनिवार्य रूप से कमी आती है।
उत्तम स्वास्थ्य - 600 अरब से अधिक कोशिकाओं का हमारा कोष तंत्र नई प्राणवायु से भर जाने पर ऊर्जा के नवीन आयाम प्राप्त कर फुर्तीला बना रहता है जिससे शरीर के रिफ्लेक्सेस बने रहते हैं।
छोटे दिल का व्यायाम - आपके पैरों की पिंडलियों में उपस्थित मांसपेशियों का कार्य पैरों से रक्त को हृदय तक भेजना है इन्हें छोटा हृदय भी कहा जाता है जिनका व्यायाम रक्त परिसंचरण को मजबूत करता है।
बुढ़ापा रुका रहेगा - अस्थि मांसपेशी व लचीले जोड़कर स्वर्णिम त्रिकोण से ही पैरों की गति सुनिश्चित होती है जिसको आप पैदल चलकर ही स्थापित रख सकते हैं और चलायमान रहकर बुढ़ापा आने से रोक सकते हैं या बुढ़ापे में भी स्वस्थ रह सकते हैं।
फ्रैक्चर का खतरा - पैदल चलने से ही हड्डियों की मांसपेशी में पकड़ और कैल्शियम जैसे तत्वों का जमाव बना रहता है जिससे फ्रैक्चर होने की संभावना कई गुना कम हो जाती है।
त्वरित स्वास्थ्य लाभ - बीमार होने पर व्यायाम धर्मी व्यक्तियों के स्वस्थ होने की गति त्वरित होती है.
यौन आनंद - यौन आनंद शारीरिक रूप से व्यायाम शील व्यक्ति वैवाहिक जीवन में यौन संबंधों का आनंद भी लंबे समय तक ले पाते हैं.
प्राकृतिक टीका - दैनिक पैदल चलने मात्र से आपके स्वस्थ रहने का प्राकृतिक टीका लग जाता है लेकिन इसकी खुराक प्रतिदिन लेना होती है ताकि आप का उम्र स्वस्थ बने रहें।
प्राकृतिक भूख - दैनिक व्यायाम करने वाले व्यक्तियों का शरीर प्राकृतिक जठराग्नि से भूख उत्पन्न कर स्वस्थ शरीर रख पाता है।
मोटापे पर नियंत्रण - मोटापे पर नियंत्रण दैनिक दिनचर्या के पालन से मोटापा नियंत्रित होता है एवं वजन भी कम होता है।
जोड़ों का परिचालन - पैरों के लगभग 50 जोड़ों का लुब्रिकेशन पैदल चलने मात्र से उचित रूप से हो जाता है जिससे जोड़ों का स्वास्थ्य भी उत्तम स्तर पर बना रहता है.
नेत्र ज्योति - पैदल चलने एवं दूर दृष्टि रखने से नेत्र की मांसपेशियों को निरंतर आराम मिलता है जो फोन और टी.वी. स्क्रीन देखते रहने से नेत्र की मांसपेशी के संकुचित बने रहने से थकित हो जाता है.
पैदल कैसे चलें –
एक अच्छी गुणवत्ता का फ्लैट सोल या मोल्डेड सोल वाला अच्छे कुशन गद्दे का जूता खरीदना उचित रहेगा। वैसे पैदल चलने वाले जूते रु 200 से 20000 तक की रेंज में उपलब्ध होते हैं। ध्यान रखें महंगे जूते से सिर्फ प्रेरणा मिल सकती है, पैदल चलना तो मन को चलाने से ही हो पाता है।
आपके एक कदम की दूरी लगभग 80 से 85 सेंटीमीटर हो सकती है तो 1000 कदम चलने पर 800 मीटर की दूरी तय हो जाती है जो सामान्य गति से चलने पर 15 – 17 मिनट में पूर्ण हो सकती है। इस प्रकार से 60 मिनट में आप 3.5 से 4 किलोमीटर की दूरी आराम से तय कर सकते हैं। अच्छे धावक आम तौर पर 5 मिनट में 1 किलोमीटर तय कर लेते हैं।
पर्याप्त रूप से शरीर के गर्म हो जाने पर आप 100 से 200 मीटर की हलकी दौड़ भी लगा सकते हैं जिससे ह्रदय गति बढ़ जाएगी। ह्रदय रोगी सिर्फ पैदल ही चलें, दौड़ न लगायें। आपके शरीर में जमा फेट, 40 मिनट के व्यायाम या पैदल चलने के बाद ही गलना शुरू होता है अतएव जो लोग 90 मिनट तक लगातार पैदल चलने का अभ्यास करेंगे तो वे अधिक फेट जला पाएंगे और पर्याप्त वजन कम कर पाएंगे।
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डा. अनिल भदौरिया, एम. बी. बी. एस. (एम. जी. एम. मेडिकल कॉलेज, इंदौर ), एम पी टी (स्पोर्ट्स), एम. बी. ए.
सहायक संचालक, कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएँ, श्रम विभाग, मध्य प्रदेश शासन में सेवारत है तथा मुख्यालय इंदौर में पदस्थ हैं.
डॉ भदौरिया की सेक्स एजुकेशन पर ( पीकॉक पब्लिकेशन, नई दिल्ली ) से पुस्तक प्रकाशित है. वे नई दुनिया, दैनिक भास्कर, अहा दुनिया, पत्रिका, जीमा (कलकत्ता) में अपने स्वास्थ्यपरक, यात्रा वृतांत, कविताओं व व्यंग्य आधारित आलेखों से प्रकाशित होते रहे हैं. इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष रहे हैं तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे हैं.
स्वास्थ्य चर्चा स्तम्भ में डा. भदोरिया नियमित रूप से बीमारियों से बचाव के बारे में सरल हिंदी में जानकारी देंगे। डा. भदोरिया द्वारा दी जाने वाली जानकारी निश्चित ही पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगी। डा. भदोरिया से स्वास्थ्य सम्बंधी प्रश्न हों तो वाट्सएप नम्बर 8770218785 पर भेज सकते हैं। धन्यवाद .. सम्पादक www.dailynewshub.net .