प्रयागराज महाकुंभ  में अब तक 45 करोड़ से अधिक

श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज तीर्थराज प्रयागराज में पिछले महीने 11 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ ने इस सदी और इतिहास में सबसे बड़े धार्मिक आयोजन और सबसे ज्यादा श्रद्दालुओं की भागीदारी का कीर्तिमान बना लिया है।    महाकुम्भ में आज 11 फरवरी 2025 तक 45 करोड़ से अधिक  श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तथा गंगा तट पर बनाये गए घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई   अनुष्ठानों और कल्पवास में भाग लिया है। राज्य सरकार ने दावा किया था कि महाकुम्भ में 45 दिनों में श्रद्दालुओं की संख्या 45 से 50 करोड़ तक पहुंच जाएगीलेकिन 45 करोड़ का आंकड़ा एक महीने के भीतर ही हासिल कर लिया गया हैजबकि महाकुंभ के समाप्त होने में अभी भी 15 दिन बाकी है। आध्यात्मिक महत्वभव्य अनुष्ठानों और अत्याधुनिक तकनीकी सहयोग के तालमेल से आयोजित इस कुंभ मेले में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या को मची दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ और दो आगजनी की घटनाओं को अलग कर दें तो भीड़ के प्रबंधनस्वच्छता और डिजिटल सुविधा में नए मानक स्थापित किए हैं। प्रयागराज आने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर वाहनों का जाम लगा हुआ है। बावजूद इसके जाम में फंसे श्रद्धालुओं का हौसला और उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि बड़ी संख्या में श्रद्दालुओं के प्रयागराज आने का सिलसिला जारी है।        

 

12 फरवरी को अमृत स्नान

बुधवार. 12 फरवरी को मध पूर्णिमा के अवसर पर अमृत स्नान  हैजो गुरु बृहस्पति की उपासना और इस मान्यता के लिए प्रसिद्ध है कि हिंदू देवता गंधर्व स्वर्ग से इस पवित्र संगम पर आते हैं। माघ पूर्णिमा स्नान के दौरान सुचारू भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिएराज्य सरकार ने आज 11 फरवरी 2025 की सुबह से ही मेला क्षेत्र को 'नो व्हीकल ज़ोन' के रूप में घोषित कर दिया है मेला क्षेत्र में केवल आवश्यक और आपातकालीन सेवाओं के वाहनों को ही अनुमति होगी।

प्रयागराज संगम स्टेशन अस्थायी रूप से बंद

महाकुंभ 2025 की भीड़ को लाने और उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे भी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है।  12 फरवरी  को होने वाले अमृत स्नान की तैयारियों की अधिकारियों और केंद्रीय मंत्री द्वारा समीक्षा की गई है। प्रयागराज जंक्शन सहित सभी आठ स्टेशन पूरी तरह से चालू हैंजबकि भीड़ प्रबंधन के लिए प्रमुख स्नान तिथियों के आसपास प्रयागराज संगम स्टेशन अस्थायी रूप से बंद किया गया है।

डिजिटल टोकन प्रणाली

उत्तरप्रदेश सरकार ने विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से एक बहुस्तरीय सुरक्षा और निगरानी प्रणाली लागू की है। एआई-संचालित सीसीटीवी कैमरोंड्रोन निगरानी और वास्तविक समय विश्लेषण के नेटवर्क की मदद से निर्दिष्ट क्षेत्रों में तीर्थयात्रियों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जा रही है। प्रशासन ने भीड़भाड़ को कम करने के मकसद से स्नान घाटों तक पहुंच को सुव्यवस्थित करने के लिए एक डिजिटल टोकन प्रणाली भी शुरू की है। वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए भी खास बंदोबस्त किए गए हैंजिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।

कल्पवास का समापन

महाकुंभ के दौरान इस वर्ष10 लाख से अधिक भक्तों ने त्रिवेणी संगम पर कल्पवास कियाजो माघ पूर्णिमा पर अंतिम पवित्र स्नानपूजन और दान के साथ समाप्त होगा। परंपरा के अनुसारकल्पवासी सत्यनारायण कथाहवन पूजा करेंगे और अपने तीर्थ पुरोहितों को दान देंगे। कल्पवास की शुरुआत में बोए गए जौ को गंगा में विसर्जित किया जाता है और तुलसी के पौधे को दैवीय आशीर्वाद के रूप में घर ले जाया जाता है। बारह साल का कल्पवास चक्र महाकुंभ में समाप्त होता हैजिसके बाद उनके गांवों में सामुदायिक भोज का आयोजन भी किया जाता है।

सात लाख से अधिक व्यक्तियों का उपचार

प्रयगराज महाकुम्भ में व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं के ज़रिए 7 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सुविधाएं भी दी गई हैं। इसमें 23 एलोपैथिक अस्पतालों में 4.5 लाख से अधिक व्यक्तियों का उपचार3.71 लाख से अधिक लोगों का पैथोलॉजी परीक्षण और 3,800 छोटी और 12 बड़ी सर्जरी का सफल आपरेशन शामिल है। इसके अलावा20 आयुष अस्पतालों ने 2.18 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को आयुर्वेदहोम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार प्रदान किया है। एम्स दिल्लीआईएमएस बीएचयू और कनाडाजर्मनी और रूस के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मिलकर विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित की है। पंचकर्मयोग थेरेपी, और स्वास्थ्य जागरूकता सामग्री के वितरण जैसी सेवाएं भी दी गई हैंजिससे श्रद्धालुओं को काफी सुविधा हुई है।

अपशिष्ट प्रबंधन योजना 

प्रयागराज में गंगा नदी के रेतीले स्थल पर सबसे स्वच्छ कुंभ मेला बनाने का लक्ष्य रखते हुएअधिकारियों ने एक सख्त अपशिष्ट प्रबंधन योजना लागू की है। परिसर को कूड़े से मुक्त रखने के लिए22000 से अधिक स्वच्छता कर्मचारी तैनात किए गए हैं। नदी के पानी को स्वच्छ और पवित्र स्नान के लिए उपयुक्त बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर जल उपचार पहल भी लागू की गई है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और बायोडिग्रेडेबल कटलरी का उपयोग करने जैसी पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को भी सख्ती से लागू किया गया है। कुंभ के मैदानों में हजारों जैव-शौचालयों और स्वचालित कचरा निष्पादन इकाइयों की स्थापना की गई है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

महाकुम्भ के दौरानशास्त्रीय नृत्य प्रदर्शनलोक संगीत और आध्यात्मिक प्रवचनों वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम पर भी आयोजित किये जा रहे हैं। जो  पद्म पुरस्कार विजेताओं और विभिन्न राज्यों की लोक मंडलियों सहित प्रसिद्ध कलाकारकथकभरतनाट्यम और लावणी और बिहू जैसे पारंपरिक लोक नृत्यों के ज़रिए भारत की विविध परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। कुंभ मेला विभिन्न साहित्यिक सभाओं की भी मेजबानी कर रहा हैजहां विद्वान प्राचीन धर्मग्रंथोंवैदिक दर्शन और समकालीन समय में सनातन धर्म की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हैं। कारीगरों ने हस्तशिल्पहथकरघा उत्पादों और धार्मिक कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हुए यहां स्टॉल भी लगाए हैंजिससे मेला एक जीवंत सांस्कृतिक संगम में बदल गया है।

 

महाकुंभ महज़ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह योजनाबद्ध तरीके से किए गए आयोजनसांस्कृतिक संरक्षण और तकनीकी नवाचार का एक यादगार उदाहरण है। 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के अब तक भाग लेने और इसके समापन से पहले और अधिक श्रद्धालुओं के इसमें शामिल होने की उम्मीद के साथयह कुंभ, भारत में आधुनिकता और परंपरा के अनूठे संगम का एक प्रमाण बन गया हैजो सभी के लिए आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और सरल अनुभव सुनिश्चित कर रहा है।

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न्यूज़ सोर्स : पसूका