मध्य भारत की पहली रोबोटिक स्पाइन सर्जरी कर इतिहास रचा एम्स भोपाल ने

मध्य भारत की पहली रोबोटिक स्पाइन सर्जरी कर
इतिहास रचा एम्स भोपाल ने
भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल ने नेविगेटेड और रोबोटिक स्पाइन सर्जरी की शुरुआत करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। एम्स भोपाल रीढ़ की हड्डी की उन्नत शल्य चिकित्सा करने वाला मध्य प्रदेश और मध्य भारत का पहला अस्पताल बन गया है। रोबोट की सहायता से की जाने वाली स्पाइन सर्जरी न केवल शल्य चिकित्सा की सटीकता बढ़ाती है, बल्कि रक्तस्राव को कम करने, मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करने और मरीजों के तेजी से स्वस्थ होने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
एम्स भोपाल के ऑर्थोपेडिक विभाग में डॉ. अजय सिंह के नेतृत्व में पिछले सप्ताह डॉ. वी. के. वर्मा एवं डॉ. पंकज मिश्रा द्वारा रोबोट से दो स्पाइन की सफल सर्जरी की गई। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इस सफलता में एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली एवं डॉ. जे. पी. शर्मा का विशेष सहयोग रहा। ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. रेहान उल हक़ ने बताया कि रोबोट का उपयोग स्पाइन के साथ-साथ पेल्विक इंजरी की सर्जरी में भी मददगार सिद्ध होगा।
अब एम्स भोपाल मध्य भारत में ऐसा पहला अस्पताल बन गया है जहां पर रोबोटिक पद्धति द्वारा ऑर्थोपेडिक विभाग में स्पाइन सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो गई है। थ्री डी इमेजिंग और रोबोटिक प्रणाली वास्तविक समय में इमेजिंग प्रदान करके आर्थोपेडिक सर्जरी में, विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी की प्रक्रियाओं में, अधिक सटीकता और सुरक्षा प्रदान करती है। इससे सर्जनों को अधिक सटीक निर्णय लेने और संभावित रूप से जटिलताओं और विकिरण जोखिम को कम करने में सहायता मिलती है। स्पाइन सर्जरी में रोबोट का मुख्य उपयोग फ्रीहैंड या फ्लोरोस्कोपी-निर्देशित प्रक्रियाओं की तुलना में सुरक्षित पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन सुनिश्चित करने में होता है। अब एम्स भोपाल में इस सुविधा के हो जाने से जटिल स्पाइन सर्जरी को सुरक्षित रूप से किया जा सकता है और मध्य भारत के मरीजों को रोबोटिक स्पाइन सर्जरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह, जो स्वयं एक पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक सर्जन हैं, ने बताया कि रोबोटिक ली मदद से बच्चों के रीढ़ की हड्डी की विकृति, जैसे काइफोसिस या स्कोलियोसिस और जटिल स्पाइन रोगों की सर्जरी को आसान और सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स भोपाल का ऑर्थोपेडिक विभाग प्रदेश की जनता को बोन बैंकिंग सर्विसेज, 3 डी प्रिंटिंग द्वारा सर्जरी, जटिल पीडियाट्रिक सर्जरी आदि सुविधाएं दे रहा है जो कहीं और उपलब्ध नहीं हैं।
स्पाइन सर्जरी में मास्टर ऑफ सर्जरी कार्यक्रम
तकनीकी प्रगति के साथ-साथ, एम्स भोपाल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहा है। संस्थान ने 2023 में स्पाइन सर्जरी में फैलोशिप कार्यक्रम शुरू किया, जिससे इस क्षेत्र में विशेष विशेषज्ञता को बढ़ावा मिला। इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, एम्स भोपाल अगस्त 2025 से शुरू करने के लिए तैयार है, जिससे यह चिकित्सा प्रशिक्षण और नवाचार में एक अग्रणी भूमिका निभाएगा।
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