बीमा लोकपाल में नहीं हुई सुनवाई  

 अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे डा. पाल

इंदौर, 12 अप्रैल। आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड बीमा कम्पनी द्वारा स्वास्थ्य बीमा दावे को खारिज किए जाने के बाद बीमा लोकपाल में न्याय की गुहार लगाई लेकिन लोकपाल से भी निराशा ही हाथ लगी। यह कहना है इंदौर के डा. जेम्स पाल का, जिन्होंने आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड बीमा कम्पनी से स्वास्थ्य बीमा करवाया था। डा. पाल को आकस्मिक परिस्थितियों में इलाज के लिये अस्पताल में भरती होना पड़ा था।  अस्पताल की सभी औपचारिकताएं पूरी करने और भरती रहने के सभी मापदण्डों का पालन के बावजूद बीमा कम्पनी ने डा. पाल के दावे को खारिज कर दिया जिसके चलते उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

     डा. जेम्स पाल ने बताया कि आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड बीमा कम्पनी द्वारा स्वास्थ्य बीमा दावे को खारिज करने से एक ओर जहां बीमा कम्पनी बीमित व्यक्ति से किए गये वादे से मुकर रही है वहीं दूसरी ओर बीमा लोकपाल भी अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ रहा है। उन्होने कहा कि बीमा लोकपाल कार्यालय की निष्क्रियता और उदासीन रवैये से मैं मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहा हूं। उन्होंने कहा कि बीमा लोकपाल से न्याय की उम्मीद टूट जाने के बाद अब अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। डॉ. पाल ने बताया कि जब एक बीमार इंसान को बीमा क्लेम पाने के लिए दो-दो महीनों तक बीमा कम्पनियों के और बाद में लोकपाल के चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई न हो, तो यह लोकपाल जैसी जिम्मेदार संस्था की लापरवाही का एक बड़ा प्रमाण है। 

डा. पाल ने कहा कि जब पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता तो वे समस्याओं के निराकरण के लिए बनाई गई संस्था जैसे बीमा लोकपाल के पास जाते हैं ताकि उन्हें न्याय मिल सके। लेकिन जब वहां से भी निराशा ही मिलती है तो पीड़ित के पास न्यायालय में गुहार लगाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। डा. पाल ने कहा कि वे अब अपने अधिकार पाने के लिए न्यायालय की शरण में जाएंगे। उन्होंने लोकपल से यह भी प्रश्न किया कि एक जागरूक व्यक्ति के साथ अन्याय होता है तो वह लोकपाल तथा न्यायालय तक न्याय पाने के लिए प्रयास करता है लेकिन एक आम व्यक्ति के लिये लोकपाल और न्यायालय तक जाना दु:स्वप्न ही है। उन्होने लोकपाल से अनुरोध किया है कि वे बीमा कम्पनी द्वारा किये गये अन्याय की जांच करवाए और उनके जैसे अनेकों पीड़ितों को न्याय दिलाए। यदि बीमा कम्पनी इसी तरह बीमा के दावे खरिज करती रही और बीमा लोकपाल में भी कोई सुनवाई न हो तो न्यायालय में दर्ज प्रकरणों की संख्या में और इजाफा होते जाएगा