भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह कल, 26 दिसम्बर की रात हमेशा के लिए मौन हो गए. अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह दस साल, सन 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. इसके पहले वे सन 1991 से 1996 तक नरसिम्हराव सरकार में वित्त मंत्री का पदभार संभालते हुए उदारीकरण के प्रणेता बने, उसी का परिणाम है कि देश आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन पाया है..... उन पर मौन रहने और कठपुलती होने के आरोप भी लगे लेकिन वे इन सब आरोपों की परवाह किए बिना अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे. डा. अनुज लाल ने डा. मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर श्रद्धांजलि कविता लिखी है.. आप सब सुधी पाठकों के लिये... सादर  .... ! 

 

चुप से खामोश... 

 

  • डॉ. अनुज लाल

 

 

कल तक वो चुप थे,

आज वो खामोश हो गये,

समेटकर अपनी ज्ञान गंगा,

मनमोहन सो गये.

सौम्य, सरल, समझदार थे,

अर्थशास्त्र ज्ञान के भंडार थे,

जिसने शांति में शक़्ति ढूढ़ ली थी,

वो शक़्तिशाली सरदार थे,

छोड़ गये इस फ़ानी दुनिया को,

मनमोहन मौत के आगोश हो गये,

राजनीति में थे, पर

राज़ की होड़ में नहीं,

काम में सदैव आगे थे,

पर नाम की दौड़ में नहीं,

दशकों तक सब उनके

मुशायरा ए बजट में मदहोश हो गये,

हर युग में एक कर्ण होता है,

जो हृदय से शुद्ध स्वर्ण होता है,

पात्र बन जाता है वो महाभारत का,

जो न उसका स्वाद, न उसका रण होता है,

कुछ वादों, कुछ एहसानों के बोझ में,

वो अपने इल्म से फरामोश हो गये,

कल तक उनकी सेवा,

उनके समर्पण और उनकी

देश भक़्ति को नमन है,

जिसकी योजनाएं सफलता का शोर मचाती हों,

ऐसे मौन में वजन है धीमा,

विनम्र और सटीक उनके भाषण

आज के महान शब्दकोष हो गये.

कल तक जो चुप थे,

आज वो शांत हो गये.

ॐ शांति! शांति!! शांति!!!

**********************************************   

डॉ. अनुज लाल

 

न्यूज़ सोर्स : डा. जी.डी. अग्रवाल, इंदौर