भारत में हर दिन होता है

15600 टन प्लास्टिक कचरे का रिसायकल

नई दिल्ली. भारत में सन 2014 मे शुरू हुये स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता के प्रति देशवासियों में जागरूकता की अलख जगी है। इसी के चलते अब घरों से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग – अलग रखने लगे है। लेकिन देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध के बावजूद अभी भी काफी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत रिड्यूसरीयूज और रिसाइकल (3आर) की अवधारणा’ को आम जनता तक पहुंचाने का सफल प्रयोग किया है। बावजूद इसके देश में शहरों में बरसात के दिनों में पानी की निकासी में प्लास्टिक एक बड़ी वजह माना जाता है। इन सबके बीच प्लास्टिक के रिसायकिल के कार्य में तेजी आ रही है। स्वच्छता के इस मिशन को नया आयाम देने में कई ‘प्लास्टिक वेस्ट रीसाइक्लिंग कंपनियां आगे आकर स्वच्छ भारत मिशन में सहयोगी बनकर उभर रही हैं।

   एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल 56 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक के कचरे का रीसाइकल किया जा रहा है यानी प्रतिदिन 15600 टन प्लास्टिक कचरे को एकत्रित कर रिसाइकल किया जाता है। रिसायकिल का काम अनेक कम्पनियां कर रही हैं । ये कंपनियां प्लास्टिक के कचरे को पुन: उपयोग में लाकर नए बहुमूल्य उत्पादों में बदल रही हैं। इस तरह प्लास्टिक को पुनराकार देकर देशभर में इसका दबाव कम करते हुए स्वच्छ शहरों का कायाकल्प सुनिश्चित किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन महज नजर आने वाली स्वच्छता तक सीमित नहीं है, बल्कि इस मिशन के अंदर बड़ी मशीनरीकई अभिनव प्रयासविशेष योजनाएंनए स्टार्टअप, निरंतर अनुसंधान, कई प्रेरक अभियान आदि के लिए बड़े स्तर पर जनशक्ति काम कर रही है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से कचरा खत्म करने के साथ-साथ लैंडफिल साइट्स पर पहाड़ बन चुके पुराने कचरे का भी निस्तारण किया जा रहा है। इस दिशा में इंदौर ने देश में अभिनव कार्य किया है। 

दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘ग्लोबल कॉन्क्लेव ऑन प्लास्टिक रीसाइक्लिंग एंड सस्टेनेबिलिटी’ विषय पर जुलाई 2024 में इंटरनेशनल एग्जिबिशन लगाई गई। इसमें कई कंपनियां ‘प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग’ के शानदार उदाहरण लेकर आईं, जिसे भारत के पहले ‘रिसाइक्लिंग एंड सस्टेनेबिलिटी शो’ का नाम दिया गया। इस प्रदर्शनी में कई ऐसे आइडिया और मशीनें प्रस्तुत की गईं, जिनके माध्यम से एक बार इस्तेमाल के बाद बेकार या कचरा समझे जाने वाले प्लास्टिक को ररिसाइकल कर नए उत्पाद में बदला जा सकता है। चार दिन की प्रदर्शनी में करीब 400 स्टाल्स लगए गए और 50 हजार से ज्यादा बिजनेस इन्वेस्टर्स शामिल हुए। यहां प्लास्टिक को नया आकार देकर सामान्य सस्ते उत्पाद बनाने से लेकर रिसाइकल्ड प्लास्टिक से बने महंगे ‘स्पोर्ट्स गियर’ तक के बेमिसाल उत्पाद प्रदर्शित किए गए।

प्लास्टिक रीसाइक्लिंग पर आधारित प्रदर्शनी में ‘इशित्व रोबोटिक सिस्टम्स’ की ओर से दुनिया की पहली ऐसी प्लास्टिक मैटेरियल की छंटाई करने वाले मशीन प्रदर्शित की, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और रोबोटिक सिस्टम की मदद से रंग, आकार, वजन, ब्रांड और किस्म का खुद ही अनुमान लगाकर प्लास्टिक की बोतलों और पैकेट्स की छंटाई कर सकती है। यह कंपनी ‘वी शॉर्ट टु क्रिएट वैल्यू’ के संदेश के साथ सॉर्टिंग मशीनें तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा श्रेणी के अनुसार सफेद, रंगीन और क्राफ्ट पेपर की छंटाई करने वाली मशीन भी इन्होंने विकसित कर ली है। साथ ही मेटल और ग्लास सॉर्टिंग मशीनों पर भी काम चल रहा है, जो जल्द ही विकसित कर ली जाएंगी।

प्लास्टिक को पिघलाने के बाद किसी एक सांचे पर आधारित मॉल्डिंग  मशीन में डालकर एक ही तरह का उत्पाद बनते हुए आपने कई फैक्ट्रियों में देखा होगा। मगर प्लास्टिक रिसाइक्लिंग प्रदर्शनी में ‘जनमोहन प्ला मैक’ की ओर से ऐसी ‘फुल्ली ऑटोमैटिक मॉल्डिंग मशीनें’ प्रदर्शित की गईं, जो कि एप्लीकेशंस के आधार पर ‘कस्टम मेड सीरीज’ तैयार करती हैं। इनमें ब्लो मॉल्डिंग, डिफ्लेशिंग मॉल्डिंग, इंजेक्शन मॉल्डिंग और ऑप्शन फीचर वाली मशीनें शामिल हैं। प्लास्टिक का जैसा उत्पाद आप चाहें, वैसा तैयार करा सकते हैं यानी छत पर रखे प्लास्टिक के वॉटर टैंक से लेकर बेड, पानी की बोतलें, बड़े ड्रम, ट्रे, सॉकेट्स, गमले, केन, फर्नीचर, बच्चों के झूले और खिलौनों तक कुछ भी तैयार करा सकते हैं। यह कंपनी भारत समेत 64 देशों में 6 हजार से ज्यादा मशीनें स्थापित कर चुकी है।

 कर्नाटक राज्य प्लास्टिक एसोसिएशन के अनुसार शहर में प्लास्टिक की खपत हर महीने प्रति व्यक्ति लगभग 16 किलोग्राम तक है। यहां यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम प्रोजेक्ट पृथ्वी की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत कचरा बीनने वाले सफ़ाई साथियों के लिए 2019 में स्वच्छता केंद्र के नाम से मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर स्थापित किया गया। यहां 76 सफाई साथियों को कोरोना महामारी के मुश्किल समय में अच्छे वेतन के साथ नौकरी प्रदान की गई। स्वच्छता केंद्र का प्रबंधन हसिरू दला नामक सामाजिक संगठन संभाल रहा है। स्वच्छता केंद्र पर प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के साथ उसकी श्रेडिंग और बेलिंग का भी काम किया जाता है, जिसके बाद यह रिसाइकिलर्स के लिए उपयुक्त हो जाता है। प्रोसेस की गई प्लास्टिक का उपयोग सड़क बनानेकृषि उपयोग के लिए पानी की पाइप बनानेफर्नीचर बनाने में किया जाता हैजिससे यह प्लास्टिक का कचरा एक सर्कुलर इकॉनमी का हिस्सा बन जाता है।

 मुंबई, महाराष्ट्र के धारावी में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती स्थित है, मगर इसे रिसाइक्लिंग और सर्कुलर इकॉनमी के नजरिए से सोने की खान कहा जाता है। धारावी के 15,000 कारखानों में सिर्फ़ मुंबई के कचरे को रिसाइकल करने और छांटने के लिए 250,000 लोग काम करते हैं। प्लास्टिक रिसाइक्लिंग उद्योग में अकेले लगभग 10,000 से 12,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस प्रक्रिया में छांटे गए पदार्थों को छंटाई, क्रशिंग के बाद मशीनों की मदद से माइक्रोप्लास्टिक में बदल दिया जाता है। सुरक्षा और स्वास्थ्य नियमों के कारण धारावी में प्लास्टिक वेस्ट को पिघलाने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में प्लास्टिक वेस्ट को पूरे भारत में उद्योगों को बेच दिया जाता हैजहां इसे पिघलाकर 60,000 विभिन्न प्लास्टिक उत्पाद बनाकर पुनः उपयोग किया जाता है।

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