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आज का चिंतन

                   * संजय अग्रवाल

जुट जाना

जब कोई कार्य 

हमारे मन का होता है

हमारी पसंद का होता है 

तो हम उस कार्य में 

जुट जाते हैं 

अर्थात हम उसे पूरे उत्साह

अपनी पूरी ऊर्जा 

और पूरी चेतना के साथ 

लगातार उस कार्य को करते हैं

करते रहते हैं 

जब तक कि हमें 

अभीष्ट की प्राप्ति ना हो जाए 

आनंद 

अपनी पसंद के, अपने मन के

अपनी रुचि के कार्य करने में 

हमको असीम आनंद मिलता है 

और ऐसा करते समय हम 

न तो कभी थकते ओर 

न ही कोई शिकायत करते हैं।

अनुकूलता 

अपने मन का काम करते समय 

हमें सब कुछ अनुकूल ही 

दिखाई पड़ता है 

और हम पूरे मनोयोग से 

उस काम में जुट जाते हैं,

जुटे रहते हैं 

ना तो परेशान होते हैं 

और ना ही कोई

बहाने बनाते हैं या कभी 

कोई शिकायत ही करते हैं।

व्यवधान 

यदि अपनी पसंद के कार्य में 

हमें कोई रुकावट आती है 

तो हम उसका उपाय ढूंढने में

उसको निराकरण करने में,

पूर्णतया सक्षम होते हैं 

और ऐसा हम करते भी हैं।

 

कौन सा कार्य

यह ज्ञान होना कि

कौन सा कार्य हमें 

वास्तविक आनंद देता है 

इसकी समझ होना 

हमारे लिए वरदान होता है

ईश्वर की कृपा होती है। 

कई लोगों को यह समझ 

हासिल नहीं होती

इसके लिए उन्हें 

विशेष प्रयास करने होते हैं।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं