इतिहास... आज ही के दिन फांसी पर लटकाया था इंदौर में सआदत खां को

इतिहास...
आज ही के दिन फांसी पर लटकाया था इंदौर में सआदत खां को
इंदौर 01 अक्टूबर। मेरठ में मंगल पांडे, पटना में कुंवर सिंह ने तो इंदौर में मालवा के पठान सआदत खां ने मेरठ क्रांति की चिंगारी को अंगारों में बदल दिया। इनके पूर्वज तीन-चार पीढियों से होलकर फौज में कार्यरत रहे थे। सआदत खां होल्कर सेना में पूर्व कमांडेंट हफीज खां का भतीजा था। सआदत खां होल्कर सेना में कमांडेंट बनाना चाहता था पर उसकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी और वह होल्कर महाराज से खिन्न रहने लगा। क्रांति के समय उसकी आयु 35 वर्ष थी। 1 जुलाई, 1857 ईस्वी को इंदौर में हुए विद्रोह का नेतृत्व सआदत खां ने किया।
अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था शहादत खान ने। शहादत खान के खौफ से इंदौर के रेसीडेंसी में निवासरत अंग्रेजों का वरिष्ठ अधिकारी रेसीडेंसी छोड़़ कर भाग गया था।
अंग्रेजों की पुलिस इनके पीछे लग गई लेकिन लगभग सोलह वर्ष तक सआदत खां का कोई पता नहीं चल और ये क्रांति की अलख जगाते रहे। ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर पांच हजार रूपये का इनाम घोषित किया था। अन्ततः 1874 ईस्वी में राजस्थान के बांसवाडा से इन्हें गिरफ्तार किया गया और ब्रिटिश सरकार ने इन पर मुकदमा चलाकर 1 अक्टूबर, 1874 ईस्वी को इंदौर के रेसीडेंसी परिसर में लगे बरगद के पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटका दिया।
आज 01 अक्टूबर को शहीद सआदत खां को फांसी पर लटकाये गये बरगद के पेड़ के पास बड़ी संख्या में शहर के नागरिकों ने जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। ऐसे वीर सपूत को सादर नमन ( इंदौर से श्री रवि अतरोलिया की रिपोर्ट )