प्रसंगवश

नवरात्र में ज्वारे उगाने और विसर्जन का महत्व

  • ओंकार कोसे

हिंदु धर्म में नवरात्र का अनेक प्रकार से महत्व बताया गया है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना और ज्वारे या जौ बोने का शास्त्रीय विधान भी है। मान्यता है कि घटस्थापना और जौ बोने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।  नवरात्रि में श्राद्धों के समाप्ति वाले दिन मिट्टी के किसी बर्तन में मिट्टी में जौ बोए जाने की परम्परा बहुत से  क्षेत्रों में देखने को मिलती है। दशहरे के दिन तक जौ उगकर काफी बड़े हो जाते हैं, जिन्हें ज्वारेकहा जाता है।यह कृषक समाज से भी जुड़ा हुआ पर्व है ।मान्यता है कि जिस वर्ष ज्वारे अच्छे निकलते है उस वर्ष रबी की फसल अच्छी होती हैं। मिट्टी के जिस बर्तन में जौ बोए जाते हैं, उसे स्त्री के गर्भ का प्रतीक माना गया है और ज्वारों को उसकी संतान। दशहरे के दिन लड़कियां अपने भाइयों की पगड़ी अथवा सिर पर ज्वारे रखती हैं और भाई उन्हें कोई उपहार देते हैं तत्पश्चात उनका विसर्जन किया जाता हैं।

 

 नवरात्र में ज्वारे क्यों उगाए जाते है इसके बारे में मान्यता है कि पूजा स्थल पर इन्हें मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने एक मिट्टी के बर्तन में बोया जाता है। नौ दिनों में ये ज्वारे हरे-भरे हो जाते हैं, जो खुशहाली व सुख-समृद्धि का संकेत देते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में जौ इसलिए भी बोये जाते हैं क्योंकि शास्त्रों में सृष्टि की शुरुआत के बाद पहली फसल जौ ही मानी गई है।

यह भी मान्यता है कि नवरात्र के पूजन के समापन के बाद ही ज्वारे को मिट्टी के बर्तन से बाहर निकालना चाहिए और इसमें से कुछ ज्वारे पूजा स्थल पर रखने चाहिए। इसके बाद कुछ ज्वारे धन के स्थान पर रखने चाहिए जैसे घर की तिजोरी या उस अलमारी में जहां पैसे आदि रखते हैं। इसके अलावा एक या दो ज्वारे अपनी पर्स में भी रखने चाहिए जिससे धनवृद्धि होती है ऐसी कुछ क्षेत्रों में मान्यता है।  

   दशमी को विधि-विधान के साथ बोए गए ज्वारे का विसर्जन किया जाता है। दशहरे के दूसरे दिन इन शुभ ज्वारों को  हर्ष उल्लास के साथ रिश्तेदारों और मित्रों को देकर सुख संमृद्धि की शुभकामनाएं दी जाती हैं। इस प्रकार नवरात्र में ज्वारे का भी विशेष महत्व और शास्त्रीय विधान है।

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श्री ओंकार कोसे पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल के मुख्यालय रतलाम में राजभाषा विभाग में पदस्थ्थे. सेवानिवृत्त के पश्चात भोपाल में निवास कर रहे हैं. सम-सामयिक, आध्यात्मिक पर आलेख के साथ कविताएं और कहानियां भी लिखते हैं.  

                   भोपाल