तोता से बोली मैना .................. आतिशी और मुख्यमंत्री की कुर्सी... ........................ व्यंग्य आलेख .... मधुकर पवार

तोता से बोली मैना ..................
आतिशी और मुख्यमंत्री की कुर्सी
- मधुकर पवार
तोता से एक सप्ताह बाद मिलने का वादा कर गयी थी मैना, लेकिन चार दिन भी नहीं बीते कि वह तोता से मिलने आ गई। तोता, मैना को देखते ही चहक उठा। पंख फड़फड़ाते हुए मैना का स्वागत किया। तोते ने मैना को ध्यान से देखा और प्रसन्नता से जोर से चिल्लाया - क्या बात है? जल्दी आ गई और हां, आज तो बहुत प्रसन्न लग रही हो। जल्दी आ गई, यह तो मेरी खुशनसीबी है लेकिन तुम्हारे चेहरे की रौनक देखकर लग रहा है, कुछ तो खास बात है। जल्दी बताओ.. क्या हुआ?
मैना ने कहा - थोड़ा सब्र रखो। सांस तो लेने दो।
तोता के सब्र का बांध तो टूट रहा था लेकिन संयत होकर कहा – चलो, अब बताओ।
मैना ने कहा - आप तो यहां कूप मंडूक की तरह पिंजरे में बंद हो। बाहर देश - दुनिया में क्या हो रहा है? इसकी जानकारी तो मिलती नहीं।
तोता ने हां में हां मिलाते हुए थोड़ी देर गर्दन नीचे की और धीरे से कहा- अब तो बता दो क्या खबर लाई हो ?
मैना ने अपनी चोंच ऊपर करते हुए तोता की तरफ दया भाव से देखा। फिर कहना शुरू किया - देश में फिर से चुनावी माहौल बन गया है। परिवारवाद का भूत फिर बोतल से बाहर निकल आया है। अभी हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चारों ओर परिवार - परिवार का ही नारा गूंज रहा है।
तोता ने बीच में टोककर कहा- परिवारवाद पर इतनी आपत्ति क्यों है? जब राजनीति व्यवसाय में तब्दील हो गई है तो व्यवसाय में परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं तभी व्यापार / उद्योग में तरक्की होती है। राजनेता जब नामांकन भरते हैं तो अनेक नेता अपना व्यवसाय समाजसेवा लिखते हैं। अब तुम ही बताओ... जब समाजसेवा का व्यवसाय देश में फल - फूल रहा है तब परिवार की नई पीढ़ी क्या नीतीश कुमार के परिवार जैसे रहेगी। अब लालू को ही देखो... स्वयं, अपनी पत्नी, बेटों और बेटियों को भी चुनाव में उतार दिया। अखिलेश यादव का राजनीतिक व्यवसाय बहुत प्रगति कर रहा है। अब केजरीवाल को ही देख लो... ।
बहुत देर से चुप रही मैना के सब्र का बांध टूट गया। उसने आंखें तरेर कर तोता से कहा - मैं अपनी बात कहने आई हूं। तुम्हें सुनना है तो सुनो। नहीं तो मैं चली। अगले सप्ताह आऊंगी।
तोता थोड़ा झेंप गया। फिर चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए बोला - अपने दिल की भड़ांस निकाल रहा था। चलो अब बोलो। मैं बीच में नहीं बोलूंगा।
मैना ने कहा – चलो अच्छा हुआ। आपने केजरीवाल की बात छेड़ ही दी है तो शुरूआत इसी से करते हैं। दिल्ली में तो बहुत उठा पटक चल रही है। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।
तोता को थोड़ा आनंद आने लगा। उसने कहा - आखिर क्या हुआ। दिल्ली का बेटा तो ठीक है न ?
मैना बोली – जैसा दिल्ली की जनता सोच रही थी, वैसा ही हुआ है। जेल से जमानत पर बाहर आकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली वालों को केजरीवाल के इस्तीफे से उतना आश्चर्य नहीं हुआ जितना कि आतिशी मार्लेना को मुख्यमंत्री बनाने से हुआ है।
तोता ने कहा - यह तो महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है। एक महिला को मुख्यमंत्री बनाया है तो लोगों के पेट में दर्द क्यों हो रहा है?
मैना ने कहा - दर्द तो मेरे पेट में भी हो रहा है यह देखकर। जब पार्टी में वरिष्ठ और दिग्गज नेता जैसे संजय सिंह, राघव चड्ढा और भी कई उम्मीद लगाए बैठे थे, इनमें से कोई भी केजरीवाल के विश्वास पर खरे नहीं उतरे।
मैना ने कहना चालू रखते हुए कहा - मैंने तो कुछ खबरचियों को यह भी कहते हैं सुना है कि आतिशी मार्लेना के नाम का चयन विधायकों ने नहीं बल्कि केजरीवाल ने स्वयं किया है। केजरीवाल ने स्वयं निर्णय लिया है। कुछ विधायकों के नाराज होने की भी खबरें हैं, ऐसी अफवाह चल रही है। भले ही आतिशी, केजरीवाल के परिवार की सदस्य नहीं है लेकिन वरिष्ठों को छोड़कर पहली बार विधायक और मंत्री बनी आतिशी मार्लेना को मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश तो दे ही दिया है कि भले ही जेल में रहा, पार्टी पर पूरा नियंत्रण तो मेरा ही है। यानी आम आदमी पार्टी भी जेबी पार्टी बन गई है।
तोता ने उत्सुकतावश मैना से पूछा - केजरीवाल जब मुख्यमंत्री थे, अपने निवास के जीर्णोद्धार पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे। जिससे उनकी कट्टर ईमानदार की छवि को भी बट्टा लगा था। किरकिरी भी हुई थी। अब मुख्यमंत्री नहीं रहे तो क्या मुख्यमंत्री निवास खाली करना होगा । मैना बोली - यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। हो सकता है कि आतिशी मार्लेना मुख्यमंत्री निवास का ही त्याग कर दें। यदि ऐसा करती हैं तो उनका त्याग भारतीय राजनीति के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और वह ऐसा कोई भी अवसर अपने हाथ से नहीं जाने देंगी। अब देखो न, आतिशी मुख्यमंत्री तो बन गई लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठती। यह विरोधाभाष समझ में नहीं आ रहा है।
तोता ने लंबी सांस लेकर हामी भरते हुये कहा – मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठती तो ही मुख्यमंत्री बनने का अहसास होता। कहते हैं कुर्सी से ऊर्जा मिलती है, आत्मविश्वास बढ़ता है। तमिलनाडु में भी तो जयललिता के जेल जाने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उसकी तस्वीर रखकर बगल में कुर्सी पर बैठते थे वहां के मुख्यमंत्री। केजरीवाल ने जेल में रहते इस्तीफा नहीं दिया था इसलिये मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी तस्वीर नहीं रखी थी।
मैना ने महसूस किया कि पुरुष प्रधान समाज का प्रतिनिधित्व कर रहा तोता को आतिशी का मुख्यमंत्री बनना रास नहीं आया है। उसने कहा - तुम अब आराम करो, फिर जल्दी मुलाकात करूंगी। ऐसा कहकर वह धीरे से पंख फड़फड़ाते हुए अपने गंतव्य के लिए उड़ गई।
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