तोता से बोली मैना......... व्यंग्य आलेख - मधुकर पवार

तोता से बोली मैना
- मधुकर पवार
एक दिन पिंजरे में बंद तोते से मिलने एक मैना आई। मैना ने आसपास देख लिया था कि यहां कोई नहीं है। तोता जिस घर में पिंजरा में कैद था, घर के सदस्य कुछ घंटे के लिए बाहर गए थे। मौका देखकर मैना, तोता के हाल-चाल पूछने आ गई। मैना को देखकर तोता थोड़ा मुस्कुराया, फिर उदास हो गया।
मैना बोली - उदास मत हो। जैसे घूरे के दिन फिरते है, आपके भी दिन फिरेंगे। आप पिंजरा से बाहर जरूर आओगे। आपको पिंजरे से बाहर निकालने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं।
तोता के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आई। वह कहने लगा - मैं तो पिंजरे में बंद हूं। पता नहीं कब इस कैद से मुक्ति मिलेगी?
मैना ने कहा - हमने न्यायालय में आपको रिहा करने के लिए याचिका दायर तो कर दी है लेकिन अभी तक तारीख नहीं मिली है।
तोता बोला - फिर तारीख पर तारीख शुरू हो जाएगी। पता नहीं कब तक यहां रहना पड़ेगा?
मैना ने दिलासा देते हुए कहा - वैसे इस घर के लोग आपका ध्यान तो रखते हैं ना? समय पर खाना - पानी देते हैं या नहीं। यदि नहीं देते हैं तो सबसे पहले न्यायालय में यही मांग करेंगे कि तोता का वजन कम हो गया है। पिंजरे का मालिक समय पर खाना नहीं देता है।
तोता के चेहरे पर और थोड़ी सी मुस्कान आ गई। वह बोला - यह ठीक है। वैसे मालिक तो ध्यान रखता है लेकिन कभी-कभी उनके एक दत्तक पुत्र और एक दत्तक पुत्री हैं, जो बहुत परेशान करते हैं। वे दोनों कहते हैं, जैसा हम चाहते हैं वैसा ही बोलो। मेरे उपर दबाव भी डालते हैं कि तुम्हारी पूरी बिरादरी को मार देंगे। जब मैं उनका कहना नहीं मानता तो वे भूखा रखते हैं। पानी की कटोरी से पानी गिरा कर कहते हैं - पिंजरे की पट्टी पर जो पानी की बूंद लगी है, उसे पीकर ही प्यास बुझाओ । अब तुम ही बताओ, जैसा वह कहते हैं मैं कैसे बोल पाऊंगा।
मैना ने ढाढस बंधाते हुए कहा - जरा धीरज रखो। वैसे तुम्हें कभी-कभी दूध रोटी तो खाने को मिलती है ना?
तोता ने सिर हिलाते कहा – हां, मिलती तो है लेकिन उसमें शक्कर नहीं मिलाते। मैंने उनको आपस में बात करते सुना है “इसे शक्कर वाला दूध में रोटी मिलाकर मत देना” । कहीं इसकी शुगर बढ़ गई तो डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। मेरा तो खूब मन करता है कि दूध में अच्छी शक्कर मिला हो लेकिन क्या करें । वे कहते हैं कि ज्यादा शक्कर से इसकी सेहत खराब हो जाएगी। सब लोग नजर रखते हैं कि कहीं ज्यादा न खा ले। चलो छोड़ो, यह तो चलते ही रहेगा। तुम बताओ बाहर क्या चल रहा है?
मैना ने कहा - मनुष्य भी अब जानवरों जैसी हरकत करने लगे हैं। कुछ महीने पहले भेड़िया नाम की एक फिल्म आई थी। उसमें मनुष्य भेड़िया का रूप धारण कर लेता है और दूसरे मनुष्यों को मारता भी है। यह बात भेड़ियों को नागवार गुजरी है और वे गुस्से में आकर मनुष्यों पर हमला करने लगे हैं । अब मनुष्य और भेड़ियों के बीच रस्साकसी चल रही है। मनुष्य भेड़ियों को पकड़ने के लिए आमादा है और भेड़िए हैं कि उनकी पकड़ में ही नहीं आ रहे हैं।
तोता आह भर कर बोला - काश मनुष्य तोता बन जाता तो तोता पर भी फिल्म बनाते। इससे हमारी भी इज्जत बढ़ जाती।
मैना बोली - चिंता मत करो। तोता पर भी फिल्म बनेगी। मैंने सुना है कोई सरकारी विभाग है जिसे तोता कहते हैं और उन तोतों को बंधन मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
फिर मैना ने अपना मुंह पिंजरे के पास लाकर तोता से धीरे से कान में कहा - मैंने तो यही भी सुना है कि एक न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिस मुजरिम को जमानत देनी थी, आदेश में दूसरे पक्ष के आरोपी को जमानत का आदेश जारी कर दिया। ऐसा ही तुम्हारे मामले में भी हो सकता है। मनुष्य की तोता गैंग के स्थान पर तुम्हें मुक्त करने के आदेश आ जाएं । तोता अब खिल खिलाकर हंस पड़ा और कहा - काश ऐसा हो।
मैना ने दिलासा देते हुए कहा - निराश ना हो। यहां भी कौन सी तकलीफ है तुम्हें। कैद में होने के बाद भी घर का खाना तो मिल रहा है। कभी - कभी आम भी खाने को मिल जाते हैं। यह भी आपके अच्छे कर्मों का ही फल है। आपको अच्छा घर मिला है वरना किसी ऐरे - गैरे के घर में बंद रहते तो सूखी रोटी से ही गुजारा करना पड़ता।
तोता आह भर कर बोला - अभी तो मालिक के आने का समय हो गया है। वे कभी भी आ सकते हैं इसलिये तुम धीरे से खिसक लो। और हां.. समय मिलते ही फिर आना। अबकी बार जब भी आओ तो भारत के दिल यानी राजधानी के हाल-चाल बताना। इन घिसी पिटी बातों से अब दिल भर गया है। मैना ने हामी भरी और वहां से फुर्र हो गई।
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