सरोकार

 दुष्कर्मियों को कानून का डर है ही नहीं !

*  डॉ. चन्दर सोनाने

 

                         पहले कानून के डर के कारण अपराध कम होते थे। विशेषकर दुष्कर्मियों की संख्या कम ही होती थी। किन्तु अब ऐसा लगता है कि उन्हें कानून का डर है ही नहीं ! यही नहीं, वे दुष्कर्म करने के बाद पीड़िता पर मामला वापस लेने का इतना दबाव डालते हैं कि नहीं मानने पर पीड़िता को जिंदा जलाने से भी बाज नहीं आते। पिछले दो सप्ताह के ही वाकिये देखें तो पीड़िता पर दुष्कर्मी द्वारा हमला करने के तीन प्रकरण हो चुके हैं। इन प्रकरणों में दो की तो जान ही चली गई और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

           देश भर में यही हाल है। हम उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश के हाल ही के दो सप्ताह के तीन प्रकरण लेते हैं। जबलपुर जिले में दुष्कर्म के प्रकरण में आरोपी ने 17 अक्टूबर की शाम ही एक युवती और उसकी माँ पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसके बाद उसने खुद को चाकू मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना जबलपुर जिले के रांझी क्षेत्र की है। 

               घटना के अनुसार शाम को आरोपी लोकेश राजपूत पीड़िता के घर पहुँचा और प्रकरण वापस लेने के लिए विवाद करने लगा। मना करने पर आरोपी ने युवती और उसकी माँ के पेट और कमर पर चाकू से गंभीर रूप से हमला कर दिया। आरोपी ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया और अपने आप को चाकू मार लिया। युवती की छोटी बहन घर आई तो उसने पिता को सूचना दी। पिता ने पुलिस को बुलाया। आरोपी को बाथरूम का दरवाजा तोड़कर निकाला गया। देर रात आरोपी की इलाज के दौरान मौत हो गई। घायल माँ-बेटी की हालत गंभीर बनी हुई है। आरोपी दूसरी बार जेल से छूटा था। उस पर पीड़िता को धमकाने और दुराचार के तीन प्रकरण दर्ज है। 

          दूसरा प्रकरण खंडवा जिले का है। दशहरे के दिन यौन शोषण की  शिकार युवती पर आरोपी मांगीलाल के बेटे अर्जुन ने घर के बाहर ही पीड़िता पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। 6 दिन तक जिंदगी और मौत से लड़ते हुए आखिरकार इन्दौर के एमवाय अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। इस प्रकरण में भी आरोपी युवती और उसके परिजन पर प्रकरण वापस लेने का दबाव डाल रहे थे। कितनी दुखद और आश्चर्यजनक यह घटना है कि दशहरे के दिन बुराईयों के प्रतीक रावण को जलाया जाता है, किन्तु दशहरे को ही आरोपी रावण ने ही पीड़िता को जिंदा जला दिया, जिसकी बाद में मौत हो गई।  

             तीसरा प्रकरण भी मध्यप्रदेश के छतरपुर का ही है। 7 अक्टूबर को छतरपुर में दुष्कर्म के आरोपी भोला अहिरवार ने नाबालिग पीड़िता के घर में घुसकर फायरिंग कर दी थी। गोली लगने से पीड़िता के दादा की मौके पर ही मौत हो गई थी। पीड़िता और उसके चाचा फायरिंग में गंभीर रूप से घायल हो गए। इस प्रकरण में भी आरोपी पीड़िता पर प्रकरण वापस लेने का दबाव डाल रहा था।  

     यह अत्यन्त दुखद है कि पिछले दो सप्ताह में ही मध्यप्रदेश के तीन जिलों में कई दुष्कर्म की वारदातों और आरोपियों और उसके परिजनों द्वारा पीड़िता पर प्रकरण वापस लेने का दवाब डाला जा रहा था। पीड़िताओं और उनके परिजनों द्वारा प्रकरण वापस नहीं लेने पर आरोपियों द्वारा जघन्य अपराध कर दिए गए।

     उक्त तीन उदाहरण हमें यह बता रहे हैं कि अपराधियों और दुष्कर्मियों पर कानून को कोई डर नहीं बचा है। आरोपी द्वारा खुलेआम दुष्कर्म करने के बाद जब पीड़िता पुलिस में प्रकरण दर्ज कर देती है तो आरोपी पीड़िताओं से प्रकरण वापस लेने के लिए हत्या तक कर देने का दुस्साहस कर रहे हैं। ये सामान्य प्रकरण नहीं है। सभी प्रकरणों में अपराधियों को सख्त सजा दिए जाने की जरूरत है। और ये सजा फाँसी से कम नहीं हो सकती। जब तक दुष्कर्मियों को फाँसी पर लटकाया नहीं जायेगा, तब तक उनका दुस्साहस बढ़ता जायेगा। 

           वर्तमान में कानून में अनेक खामियाँ हैं। बचने असंख्य गलियाँ हैं। इसका फायदा उठाकर आरोपी को उसके वकील बचा ले जाते हैं या प्रकरणों को वर्षों लंबा खींच देते है। प्रकरण लंबा खींचने पर पीड़िता और उसके परिजनों पर रोज जो मानसिक आघात लगता है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती ! दुष्कर्मियों के लिए बने कानून को और सख्त करने की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर कानून में जरूरी परिवर्तन करना समय की माँग है। अन्यथा जो चल रहा है, वह ऐसे ही चलता रहेगा। 

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डा. चंदर सोनाने जन सम्पर्क विभाग से संयुक्त संचालक के पद सेवानिवृत्त हुए हैं। वे समसामयिक विषयों पर “सरोकार” स्तम्भ के तहत निरंतर लिख रहे हैं।