हिन्दी का सम्मान करो ....... नंदलाल भारती

हिन्दी का सम्मान करो
- नंदलाल भारती
हम भारतवासी संविधान कहता,
देश की हिन्दी भाषा का स्वाभिमान करो
आजादी की भाषा हिन्दी
अपनी जहां वालों अभिमान करो ।
बुध्द का देश,दया,शील,करुणा,
समता, राष्ट्र-प्रेम की अभिलाषा
मां की ममता जैसी अपनी हिन्दी
अपनी जहां गर्व से कहती है मातृभाषा ।
वटवृक्ष की छांव हिन्दी,
पाली,व्रज,अवधी,भोजपुरी, अंग्रेजी,
उर्दू, फारसी सब है इसमें समायी
विशिष्ट भाषा, विज्ञापन की भाषा हिन्दी
दुनिया को रही है खूब भायी।
रविन्द्र नाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी,
सरदार पटेल, भीमराव अम्बेडकर, सुभाष चन्द्र बोस,
एकता की भाषा हिन्दी श्रेष्ठ कथन हैं,
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, सुमित्रानंदन पंत,दिनकर, हरिऔध,
मुंशी प्रेमचंद और अनेकों के हिन्दी में चिन्तन है।
मान-सम्मान,
स्वाभिमान विश्वबन्धुत्व की भाषा हिन्दी
जन-जन की भाषा,
देश के माथे पर सुसज्जित बिन्दी ।
वसुधैव कुटुम्बकम् की भाषा,
आज की दुनिया हिन्दी का गुणगान करें
हिन्दी में लिखे-पढ़े, दफ्तर में काम करें,
हिन्दी में बात करें,अपना देश, अपनी माटी
अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर स्वाभिमान करें ।
जागो अब तो अपनी जहां के सत्ताधीशों,
कामकाज की भाषा,राष्ट्भाषा हिन्दी का ऐलान करो
आजादी की भाषा,जन जागरण की भाषा,
चुनाव की आशा, हिन्दी का सम्मान करो
जय हिन्दी, जय भारत की जय जयकार करो।