व्यंग्य आलेख ............... बड़े चौधरी के पेट में दर्द ! ......................... डॉ. कमल किशोर दुबे

व्यंग्य आलेख ...............
बड़े चौधरी के पेट में दर्द !
- डॉ. कमल किशोर दुबे
विगत दिवस आर्यावर्त के यशस्वी महावीर महामात्य ने अपने पड़ौसी कायर यवन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपनी चतुरंगिणी सेना के शौर्य एवं पराक्रम का प्रमाण सहित यशोगान किया। इस दौरान समस्त सैन्यबल, रथियों, महारथियों, शूरवीरों और तीनों प्रमुख सेनानायकों के अदम्य साहस की गाथाएँ सुनाईं। इस अवसर पर कायर, भीरू निर्लज्ज, गर्दभ सैन्य के महाकायर सेनापति "नसीम कुनीर" और इतिहास के सबसे भीरू 'वजीर-ए-नापाक' "रहबाज़ बदमाश" को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक रूप से निर्वस्त्र हो चुके कायर नापाक को अपनी हरकतों से बाज़ आने की अंतिम चेतावनी भी दे डाली। इन महामात्य महाशय ने अपने छप्पन इंची सीने को फुलाकर कहा -
"निर्दोषों का वध करने वाले, दुष्टों के उर कारे हैं।
उन आतंकी यवनों को हमने, घर में घुसकर मारे हैं।।
कर रहे हिमायत जो इनकी, वो सावधान हो जाएँ अब,
तैनात किए जल-थल नभ में, अब भारत ने सिंह-दुलारे हैं।।
जो अब भी बाज़ न आएँगे, हम उनको मज़ा चखा देंगे।
नहीं कल्पना कर सकते, हम उनको घोर सज़ा देंगे।।
ज़िन्दा दफ़ना देंगे उनको, मिट्टी में ख़ाक मिला देंगे,
उनके ही अड्डों को उनका, ज़िन्दा शमशान बना देंगे।।
इस अवसर पर महामात्य का रौद्र रूप भी प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर हुआ, जब उन्होंने आर्यावर्त के जल, थल, नभ तीनों सैन्य बलों के अभूतपूर्व शौर्य द्वारा शत्रुहन्ता शूरवीरों, रणधीरों को हृदयतल से बधाई देकर प्रोत्साहित किया। इस विजय महोत्सव पर आर्यावर्त के मनोहारी केसरी एवं हिमाच्छादित भूमिभाग को कायर नापाक से शक्तिपूर्वक छीन लेने की आकांक्षा भी दोहरायी। गाँव-नगर की चौपालों एवं चलायमान दूरभाषी यंत्रों पर "मुख-पुस्तक", "क्या-अनुप्रयोग" टेलीग्राम एवं एक्स जैसे सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा जोर-शोर से हो रही है। कुछ लोग दृश्य-श्रवण संदेशों का प्रचार-प्रसार करके ही स्वयं को स्वनामधन्य महारथी और देशभक्त मान रहे हैं! विश्व में सबसे अधिक चर्चा इस बात की हो रही है कि उन्होंने इस अवसर पर बड़े चौधरी या उसकी चौधराहट की कोई चर्चा नहीं की। जबकि महामात्य से कुछ घड़ी पहले ही बड़े चौधरी ने नाभिकीय महायुद्ध की आशंका के चलते युद्ध विराम कराने का श्रेय लेते हुए स्वयं की पीठ थपथपाई थी। लेकिन बड़े चौधरी उर्फ "प्रम्प" की यह दकियानूसी चाल विश्व के किसी भी राष्ट्र को तनिक भी पसंद नहीं आयी। इससे कायर यवन के साथ-साथ बड़े चौधरी की रातों की नींद हराम हो गई है। आर्यावर्त कमल-पुष्पी सरकार ने एक ओर तो कायर "रहबाज़ बदमाश" का जीना हराम कर रखा है, तो दूसरी ओर अप्रत्यक्ष रूप से चौधरी उर्फ "प्रम्प" को अपनी सरपंची अपने तक ही मर्यादित रखने की सीख भी दे डाली है। इससे बड़े चौधरी छटपटा रहे हैं ! इसी छटपटाहट में उन्होंने सीरिया जैसे महादुष्ट और बौनी प्रजाति के ऊपर हाल ही में प्रत्यारोपित करों को अर्श से फर्श पर ले आये हैं। बड़े चौधरी की इस परेशानी से आर्यावर्त के विपक्ष को भारी हैरानी हो रही है। इससे तथाकथित दूसरे चौधरी या उपसरपंच बनने की लालसा पालने वाले महा धोखेबाज़ "बौने" "ली पी पिनपिंग" के व्यापारवादी दृष्टिकोण को भी बहुत आघात पहुँचा है। उसके द्वारा कायर नापाक को विक्रय किये गये समस्त वायुयान, नाभिकीय शस्त्र आर्यावर्त के स्वनिर्मित ब्रह्मास्त्र के सामने फिसड्डी साबित हो चुके हैं। इन धराशायी हो चुके आयुधों की समस्त विश्व में चर्चा से उसकी व्यापारिक शाख एवं सम्मान को भारी आघात पहुँचा है। राजनैतिक महारथी इसे महामात्य के एक तीर से चार-चार शिकार करने की महारत मान रहे हैं। इसके विपरीत नापाक की जनता-जनार्दन में यह चर्चा है कि "आर्यावर्त के शक्तिशाली आयुधों के प्रक्षेपण की धमकार से वहाँ भूमि डोलने लगी थी।" समस्त चराचर जगत में इस सबसे दूरदर्शी समाचार चैनलों की दसों उंगलियाँ घी में हैं। यहाँ तक कि कुछ स्वनामधन्य दूरदर्शी प्रसार-संस्थान राष्ट्रभक्ति के नाम पर चाँदी काटने में जुट गये हैं। वे दिन-रात भारतवर्ष की चतुरंगिणी सेना के अदम्य साहस, शौर्य, पराक्रम एवं विजय गाथा को कर्कश ध्वनि से निरापद हो चुके जनता-जनार्दन के बहिरंग श्रवण अंगों में ठूँस-ठूँसकर भरने के भागीरथी प्रयास में संलग्न हैं। इन चैनलों का देशभक्ति के इस पुनीत यज्ञ में आहुति देने का पुरज़ोर एवं अभूतपूर्व योगदान है। परिणामस्वरूप आर्यावर्त की चतुरंगिणी सेना का चहुँओर डंका बज रहा है। इससे आर्यावर्त के पुनः विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित होने की संभावनाएँ बलवती हो गई हैं।
इस पराक्रमी वातावरण में आर्यावर्त की जनता-जनार्दन सारे दुख-दर्द भूलकर उत्सव मना रही है। चहुँओर राष्ट्रभक्ति और उल्लास का वातावरण प्रतीत हो रहा है।
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डॉ. कमल किशोर दुबे पश्चिम मध्य रेलवे के जनसम्पर्क विभाग में वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भोपाल में निवास कर रहे हैं। डा. दुबे की हाल ही में चार पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण हुआ है। अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डा. दुबे की अब तक 12 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।