क्यों याद करें 19 सितंबर 1968 की ऐतिहासिक हड़ताल को !

आलेख ... बी.पी. शास्त्री गणक
आज से 56 साल पहले 19 सितंबर, 1968 को केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा ऐतिहासिक एक दिवसीय सांकेतिक राष्ट्र व्यापी हड़ताल की गई थी । केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन आंदोलन इतिहास में सबसे बड़ा मील का पत्थर है । 56 साल पहले 19 सितम्बर 1968 को केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों ने संयुक्त कार्यवाही कमेटी (J C A) के आह्वान पर एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की थी, जिसमें रेल और रक्षा सहित केन्द्र सरकार के कर्मचारियों और श्रमिकों के परिसंघ शामिल थे।
हड़ताल की मूल मांगें थीं "आवश्यकता के आधार पर न्यूनतम मजदूरी प्रदान करना" और "महंगाई भत्ते के माध्यम से जीवन यापन की लागत में वृद्धि का पूर्ण निष्प्रभावीकरण",। साथ ही चार्टर में अन्य मांगें जो 1960 की हड़ताल के समय थी, वह भी शामिल थीं। उस समय हजारों कर्मचारी नौकरी से निकाले गए लाखों कर्मचारियों को सस्पेंड किया व चार्ज सीट दी गई, अंके कर्मचारियों को जेल में भी भेजा गया। इस हड़ताल में 17 कर्मचारी शहीद भी हुए थे। फिर भी कर्मचारियों का हौसला सरकार नहीं तोड़ पाई । केंद्र सरकार के लगभग 30 लाख से अधिक कर्मचारियों ने तमाम बाधाओं के बावजूद हड़ताल में भाग लिया, । यह एक ऐतिहासिक हड़ताल रही । भारत में पहली बार "आवश्यकता के आधार पर न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण , ओर न्यून्तम मानवीय आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाना चाहिए । 1957 में यह सिफारिस 15 वी आई एल सी ने की । इस अवधारणा को द्वितीय सी.पी.सी. ने स्वीकार नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप 12 जुलाई 1960 से 17 जुलाई 1960 तक केंद्र सरकार के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल हुई थी । बाद में सरकार ने संयुक्त परामर्शदात्री तंत्र (जे.सी.एम.) की स्थापना की । जेसीएम की पहली बैठक में कर्मचारी पक्ष ने मूल्य वृद्धि और महंगाई भत्ते को पूरी तरह से निष्प्रभावी करने का मुद्दा उठाया तो सरकार ने अपनी असहमति व्यक्त की और इसे मध्यस्थता के लिए भेजने से भी इनकार कर दिया। तब कर्मचारी पक्ष ने जे सी ए के बैनर तले 19 सितंबर 68 को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल का आह्वान किया। श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने हड़ताल को दबाने के लिए सभी दमनात्मक उपायों का सहारा लिया। अर्धसैनिक बलों और यहां तक कि सेना के जवानों की सेवाओं का उपयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल को रोकने के लिए किया गया। हर जगह एस्मा लागू किया गया। नेताओं की गिरफ्तारियां की गईं और हड़ताल से निपटने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि तत्कालीन केरल सरकार के मुखिया कॉमरेड ई.एम.एस. नंबूदरीपाद ने केंद्र द्वारा उनकी सरकार को बर्खास्त करने की सभी धमकियों को दरकिनार करते हुए घोषणा की कि उनकी सरकार हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा नहीं लगाएगी। सरकार ने राज्य में सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बलों का उपयोग करने से भी इनकार कर दिया। इस हड़ताल का असर यह हुआ कि सरकार को 1970 में "तीसरे वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों" में "मूल्य वृद्धि को बेअसर करने" को शामिल करने के लिए बाध्य होना पड़ा। तीसरे वेतन आयोग ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार महंगाई भत्ते के माध्यम से मूल्य वृद्धि को बेअसर करने के फार्मूले की सिफारिश की। महंगाई भत्ते की किस्तें मिलने की जो सुविधाएं हम आज भोग रहे हैं, वे उन साथियों के बलिदानों की वजह से हैं। आज भी डॉ. एक्रोयड की सिफारिशों के अनुसार आवश्यकता आधारित न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है , इसे प्राप्त करने के लिए निरंतर संघर्ष की आवश्यकता है। 19 सितंबर 1968 की ऐतिहासिक हड़ताल की इस 56 वीं वर्षगांठ पर, हम तमाम पेंशनर्स साथी याद करते, हड़ताल में हुए शहीदों को सम्मान के साथ विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है । हम उन महान नेताओं को भी याद करते हैं जिन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया क्योंकि हमारा मानना है कि भविष्य में भी मजदूर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करने के लिए आपके बलिदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।
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बी.पी. शास्त्री गणक,
राष्ट्रीय संगठन सचिव, एनसीसीपीए एवं प्रांतीय सचिव एआईपीआरपीए
राष्ट्रीय संगठन सचिव एनसीसीपीए एवम प्रांतीय सचिव ए आई पी आर पी ए 1954 में भिण्ड एम पी में जन्म । शिक्षा - एम .ए . (संस्कृत ) । विद्यार्थी जीवन में छात्र संगठन में कार्य , 1977 से 2014 तक ऑल इंडिया आर एम एस एण्ड एम एम एस एम्प्लाइज यूनियन तृतीय वर्ग में पदाधिकारी । तृतीय एवम चतुर्थ श्रेणी के शाखा सचिव से ट्रेड यूनियन में कार्य करते हुए तृतीय एवम चतुर्थ वर्ग के संभाग ,परिमंडल केंद्रीय स्तर तक विभिन्न पदों पर प्रांतीय सचिव एवम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद तक कर्मचारी संगठनो में कार्य किया विभाग ने कर्मचारियों की आवाज उठाने पर अनेकों कारवाई की किंतु शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला कम नहीं कर पाया । वर्तमान में ऑल इंडिया पोस्टल एण्ड आर एम एस पेंशनर्स एसोसियेशन (AIPRPA)मध्यप्रदेश के प्रांतीय सचिव एवम नेशनल कोर्डिनेशन कमेटी ऑफ पेंशनर्स एसोसियेशंस (NCCPA) के राष्ट्रीय संगठन सचिव पद पर । डाक विभाग से 2014 में आर एम एस ग्वालियर से एच एस ए पद से सेवानिवृत ।