आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

 

उसे करना चहिए

घर में या कार्यस्थल पर कई बार 

देखने सुनने में आता है कि

कोई कहता है कि 

यह उसका काम है 

उसे अपना काम ठीक से करना चाहिए

 

मेरा काम तेरा काम 

_यह उसका काम है, मेरा नहीं है,

वह काम नहीं कर रहा है और

इसके चलते मेरा काम भी

ठीक से नहीं हो रहा है_

यह पाया गया है कि 

ऐसा कहने वाले अपना 

काम भी अपेक्षित गुणवत्ता 

से नहीं कर रहे होते हैं।

हम अपना काम उत्तम रीति 

से करें, यही वांछित और 

आवश्यक होता है।

 

काम बोलता है

जो अपना कार्य पूर्ण मनोयोग से

उत्साह से और अपनी 

पूरी क्षमता से करते हैं 

उनके कार्य की गुणवत्ता 

अलग ही प्रदर्शित होती है 

लेकिन जो दूसरों में मात्र 

दोष ही ढूंढते हैं और 

असंतुष्ट रहते हैं वह स्वयं भी 

कार्य में बाधा ही 

उत्पन्न कर रहे होते हैं।

 

उपाय

दूसरे को कार्य करने के लिए 

प्रेरित किया जा सकता है उसे 

सहयोग दिया जा सकता है,

उसकी परेशानी या विवशता या 

अक्षमता को समझ कर उसका 

यथासंभव निराकरण 

किया जा सकता है लेकिन 

वहीं दूसरी ओर कार्य में 

स्वयं का पूर्ण योगदान 

अवश्य ही दिया जा सकता है 

और देना भी चाहिए 

यही अभीष्ट होता है।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं