आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...

 

 

 

 

 

आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

बहुत दिनों बाद दिखे

 

आज सुबह पार्क में 

किसी ने कहा कि 

बहुत दिनों बाद दिखे 

तो दूसरे ने कहा कि 

मैं तो रोज आ रहा हूं 

आप ही बहुत दिनों बाद आए हैं।

 

यही होता है 

बहुत बार यही होता है कि 

हम अपने दृष्टिकोण, स्थितियां

सोच और प्राथमिकताओं के 

हिसाब से सही कह रहे होते हैं 

लेकिन यह वास्तविकता से 

कितना भिन्न है, इसका 

हमें पता ही नहीं चलता

जब तक कि कोई दूसरा 

इसे इंगित ना कर दे।

 

समादर

बातचीत में हम और 

केवल हम ही सही हैं 

ऐसा सदैव नहीं होता है। 

दूसरे की भावनाओं, विचारों 

और बातों का भी समान रूप 

से आदर करने की क्षमता 

हम में होनी चाहिए।

 

स्वीकार्यता 

बातचीत में हर व्यक्ति अपनी 

जगह सही होता है। 

वह हमसे भिन्न हो सकता है 

विपरीत भी हो सकता है 

लेकिन वह स्वयं की दृष्टि में 

कभी भी गलत नहीं होता है। 

हम इस सिद्धांत को मान लें 

तो दूसरों के प्रति हमारी 

सहज स्वीकार्यता

स्वाभाविक रूप से बन जाती है 

और संबंधों को सहज रूप से

निभाने के लिए

यही प्राथमिक आवश्यकता 

भी होती है 

 

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं