आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

 

योगदान

हमारे इस सुंदर जीवन 

में यदि हमारे परिश्रम 

के परिणाम हैं तो 

वहीं बहुत से लोगों के 

सहयोग और आशीर्वाद 

का भी इसमें योगदान है।

 

पहचान 

हमारी पहचान केवल 

इस बात से नहीं होती कि 

हम कितने सफल हैं

या हमारी उपलब्धियां क्या है 

या हमारे पास कितनी संपत्ति है

बल्कि हमारी असली पहचान 

यह होती है कि 

कितने लोगों के जीवन में 

हमने अपने व्यवहार 

और कार्यों से कोई 

योगदान किया है।

 

क्या योगदान करें

किसी को हम कुछ धन इत्यादि 

ना दे सकते हों तो 

कम से कम एक 

मुस्कान तो दे ही सकते हैं 

या खुशी के कारण 

उसके चेहरे पर 

एक मुस्कान आ जाए 

इसके लिए एक छोटा सा 

कार्य भी हम उसके लिए 

कर सकते हैं यदि 

हमारे लिए ऐसा संभव हो

उचित हो तो।

_है जीना उसी का जीना जिसने ये राज जाना_

_है काम आदमी का औरों के काम आना_

 

रुकावट

दूसरों के लिए कुछ करने में 

सबसे बड़ी रुकावट 

हमारा अहम, स्वार्थी सोच

या यह डर होता है कि 

कोई हमारा फायदा ना उठा ले,

हम बाद में परेशान ना हो जाएं।

 

क्या करें

सर्वप्रथम हमें अपने ऊपर 

भरपूर विश्वास होना चाहिए 

और आत्म बल होना चाहिए 

कि कोई भी हमारा गलत फायदा 

उठा नहीं सकेगा 

हमारे अंदर इतनी उदारता 

अवश्य होनी चाहिए कि 

ईश्वर ने हमें कुछ करने की 

सामर्थ्य दी है और हम 

सहायता कर के 

उसका सदुपयोग 

कर पा रहे हैं।

 

जीवन में यही अभीष्ट है कि 

हम यथाशक्ति यथासंभव 

अपना योगदान 

दूसरों के लिए कर पाएं।

आनंद और संतुष्टि का 

यही एकमात्र साधन है।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं