आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो... 

आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

एक फोन तो बनता है

कई बार हम

किसी से मिलने

का वायदा कर लेते हैं,

लेकिन पहुंच नहीं पाते।

किसी काम का वायदा

कर लेते हैं लेकिन

कर नहीं पाते और

उन्हें बता भी नहीं पाते।

ऐसे में अगले के मन में

विचार आता है कि

एक  फोन तो बनता है।

सूचना

काम होने, या नहीं होने,

या अधूरा होने, या

कोई मजबूरी होने

इत्यादि बातों की सूचना

हमें अगले व्यक्ति तक

अवश्य देनी चाहिए

अन्यथा हमारी विश्वसनीयता

पर प्रश्न चिन्ह,

निश्चित रूप से

खड़ा हो जाता है व

संबंधों के बिगड़ने की भी

संभावना बनी रहती है।

शर्त या बंधन

हम स्वयं ही

मैंने सोचा या मुझे लगा

इत्यादि स्थितियों में या

काम पूरा होने पर ही बताऊं

ऐसी शर्तों में अनावश्यक ही

स्वयं को बांध लेते हैं

जो ठीक नहीं होता है।

शिष्टाचार

यह एक अनिवार्य शिष्टाचार है

कि हम अपनी ओर से

सूचना देने में,

जानकारी पहुंचाने में,

अपनी स्थिति बताने में,

कोई कमी नहीं रखें

और यही अभीष्ट होता है।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं