नवरात्रि पर्व की आपको सपरिवार हार्दिक बधाई....

 

 

 

आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...

आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

स्वानुभूति

 

स्वानुभूति अर्थात स्वयं की अनुभूति।

दूसरों की अनुभूति तो हमारे सामने

शब्द रुप या भाव के प्रकट

होने से ही आती है।

 

समझ

हमारी समझ - अध्ययन,

चर्चा के अलावा स्वयं की

अनुभूति से भी बढ़ती है

जितना अधिक हम अपनी

अनुभूतियों के प्रति सचेत रहते हैं

उसी अनुपात में हमारी समझ

में विस्तार होता जाता है।

 

व्यवहार

बीते हुए समय की अनुभूति

के प्रभाव से भी हमारे व्यवहार

में बदलाव होता है।

विगत समय की अच्छी

अनुभूतियां हमें अच्छे कार्य

और व्यवहार के लिए

निरंतर प्रेरित करती हैं।

 

सत्य

हरेक के जीवन के सत्य

अधिकांशतः उनकी अनुभूतियां

पर ही आधारित होते हैं

और यही कारण है कि 

जीवन के प्रति उनके

और हमारे दृष्टिकोण

में भिन्नता पाई जाती है।

 

स्वीकार्यता

दूसरों के अनुभवजन्य सत्य

की सहज स्वीकार्यता ही

आपसी समझ में बढ़ोतरी

और संबंधों की स्थिरता

के लिए अनिवार्य होती है।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं