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आज का चिंतन

  • संजय अग्रवाल  

 

भावनाएं

 

 

तर्क बुद्धि का विषय है

तो भाव हृदय का

जो भरा नहीं है भावों से

बहती जिसमें रसधार नहीं

वह हृदय नहीं, पत्थर है

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं

 

भावनाओं की उत्पत्ति

हृदय में जो

भिन्न-भिन्न प्रकार के

भाव उपज देते हैं

उन्हें रस कहते हैं

जैसे श्रृंगार, करूण, वीर, अद्भुत,

वात्सल्य, भक्ति इत्यादि

जो कुछ भी हमारे साथ या

हमारे आसपास

घट रहा होता है

उसे हमारे मन में

स्वाभाविक रूप से भावों की

उत्पत्ति होती है

साथ ही विचार में

आकार लेने लगते हैं

और उनका विश्लेषण

तर्क का, बुद्धि का विषय बनता है

विचारों को अनुभव के साथ

मिलकर निष्कर्ष निकाला जाता है

और फिर उसके अनुसार

कार्य किया जाता है

जबकि भावनाएं

स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होती हैं

उनकी तीव्रता के आधार पर

व्यक्ति कार्य करता है

लेकिन कभी-कभी

अपने विचारों के

अत्यधिक प्रभाव में वह

अपनी भावनाओं का

दमन करता है

और करता ही चला जाता है

विचारों की तीव्रता

जितनी अधिक होगी

भावनाओं का दमन भी

उतना ही अधिक होगा

 

भाव या विचार

बुद्धिमान व्यक्ति

विचारों की शक्ति से

अपने कार्यों को

संपादित करता है

निष्पादित करता है

जबकि भावुक व्यक्ति अपने

मन के भाव के प्रवाह में

अतिरेक में

कार्य करता चला जाता है

सृजन की प्रक्रिया में

भाव का महत्व

विचारों से कहीं ज्यादा होता है

भाव के प्रभाव में व्यक्ति

असंभव लगने वाले

कार्यों को भी

सहज में कर जाता है

जैसे दशरथ मांझी ने

अकेले के दम पर ही

पहाड़ का सीना चीर दिया था

 

संतुलन

कर्तव्य भावना से

अधिक महान होता है

कर्तव्य निर्वहन में

भावनाओं का स्थान

न्यूनतम या नगण्य में होता है

दूसरी ओर

जीवन का सौंदर्य

भावनाओं में ही छुपा होता है

भावनाओं के अत्यधिक दमन और

शमन करने से

मनोविकार होने लगते हैं

अतः आवश्यक है कि

अनिवार्य स्थितियों के अलावा

भावनाओं को जीवन में

उचित स्थान देते हुए

कार्य किए जाएं और

जीवन को संपूर्ण रूप से

जिया जाए

 

मुझे जांचना होगा कि

क्या मैंने जीवन में

विचारों और

भावनाओं का संतुलन

भली भांति किया हुआ है

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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभागनागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्कसंवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं