आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

 

मान्यता

जीवन में हम 

किन व्यक्तियों को 

और किन चीजों को

मान्यता देते हैं यह 

हमारी रुचि, समझ और 

स्वीकार्यता पर निर्भर करता है।

 

भिन्नता

दो लोगों की मान्यता 

पूरी तरह एक जैसी हो 

यह कतई संभव नहीं है 

क्योंकि यह व्यक्ति के 

निजी ज्ञान, अनुभव 

और अध्ययन पर 

आधारित होती है।

 

सम्मान

यदि यह हमें स्पष्ट है कि 

व्यक्तिगत मान्यताएं 

अलग-अलग होती हैं 

तो दूसरे की मान्यता 

का सम्मान करने में 

हमें कभी कोई परेशानी 

नहीं होगी और 

हमारे आपसी संबंध 

भी सुदृढ़ बनेंगे।

क्लेश वहीं होता है जहां

आपसी समझ और स्वीकार्यता 

का अभाव होता है।

 

उदारता 

अपनी मर्जी हमेशा थोपने 

की जिद जहां एक ओर 

तनाव पैदा करती है 

तो दूसरी और 

संबंधों में खटास।

उदारता, सहृदयता और 

सहज स्वीकार्यता 

ही एकमात्र 

समाधान होता है।

 

आईए देखते हैं कि हम 

दूसरे की मान्यता का

पर्याप्त सम्मान करते हुए 

स्वयं की मान्यता का भी

आत्मविश्वास से समर्थन कर 

पा रहें हैं या नहीं?

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  • श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं