आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

 

समानुभूति 

 

जब हम किसी से 

सहानुभूति रखते हैं 

तो बौद्धिक रूप से 

उसके साथ होते हैं 

किंतु जब हम किसी से 

समानुभूति रखते हैं 

तब हम अनुभूति के 

स्तर पर उससे 

जुड़े होते हैं।

 

सहानुभूति व्यक्ति को 

सहारा देती है लेकिन 

समानुभूति उसे 

संबल प्रदान करती है।

 

सहानुभूति के लिए

अच्छी समझ होना 

आवश्यक है और 

समानभूति के लिए 

हृदय में असीम प्रेम 

होना अनिवार्य है।

 

सहानुभूति में 

अपनत्व होता है और 

समानुभूति में ममत्व।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं