आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

 

समझ 

हर एक की अपनी-अपनी 

समझ होती है और 

दूसरे की समझ पूरी तरह 

उसके समान हो जाए 

यह कतई संभव नहीं है 

संभव हो भी नहीं सकता।

 

कारण

इसका एकमात्र कारण यही है 

कि हरेक की पारिवारिक

सामाजिक, शैक्षणिक इत्यादि 

पृष्ठभूमि अलग-अलग होती है 

और उसी के अनुसार 

उसके विचार, समझ और 

अनुभव इत्यादि होते हैं। 

अतः इतनी सारी चीजों की 

पूर्ण समानता दो व्यक्तियों 

में होना नितांत असंभव है।

 

तालमेल 

जब भी हम दूसरों के साथ 

कार्य या व्यवहार करते हैं 

तो समझ का तालमेल होना 

आवश्यक होता है।

कार्य और व्यवहार 

की निरंतरता से 

समझ में वृद्धि होती है

और नई-नई चीज़ 

सीखने को मिलती हैं बशर्ते 

हम सीखने के लिए तैयार हों।

 

स्वीकार्यता 

एक बार जब यह स्पष्ट हो गया 

कि समझ में भिन्नता होती है 

और यह सदा रहेगी ही,

तो हमें दूसरे की समझ की 

स्वीकार्यता हो जायेगी और 

उसकी समझ का सम्मान 

करना सरल हो जाएगा 

और फिर उससे समायोजन 

भी आसान लगने लगेगा

यदि संभव हो पाए तो। 

 

आईए आज हम देखते हैं कि

दूसरों के साथ हमारी

आपसी समझ बढ़ाने के लिए 

हम अपनी सोच में कितना 

बदलाव ला सकते हैं और

कितना प्रयास कर सकते हैं।

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं