आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो... आज का चिंतन ..... संजय अग्रवाल
आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...
आज का चिंतन
* संजय अग्रवाल
विचार और भाव
हमारे जीवन का संचालन
इन्हीं दो से हो रहा है।
विचार बुद्धि का विषय है
और भाव हृदय का।
जो कुछ भी खोजा गया है
उसके पीछे विचार ही तो है,
और जो भी कुछ रचा गया है,
सृजित किया गया है,
उसके मूल में प्रमुख तत्व
भाव का ही रहता है।
यांत्रिक रचना के लिए
विचार और बुद्धि आवश्यक है
किंतु साहित्य कला इत्यादि
की रचना या प्रदर्शन
के मूल में भावनाओं की
तीव्रता, चेष्टा, उद्वेग
आदि की ही भूमिका
मुख्य रूप से होती है।
उत्पत्ति
विचार, बुद्धि की उपज है
तो प्रेम, भाव का निरूपण।
जहां बुद्धिमान, विचारों और तर्क
से भरा हुआ रहता है,
वहीं भावुक व्यक्ति होता है
प्रेम से परिपूर्ण और
पूरी तरह भीगा हुआ।
तर्क और प्रेम कभी भी
साथ-साथ रह नहीं सकते।
जहां तर्क है, वहां प्रेम नहीं
और जहां प्रेम होता है
वहां तर्क का कोई स्थान नहीं।
प्रमुखता
जब भी कोई
निर्णय लेना हो,
लक्ष्य प्राप्त करना हो
विजयी होना हो
तो विचारों की दृढ़ता
अनिवार्य होती है।
किंतु जब कुछ
सृजन करना हो,
कुछ उकेरना हो,
कला का प्रदर्शन
या अभ्यास करना हो
तो वह भावनाओं की
अतल गहराइयों में
उतरे बिना
संभव नहीं है।
उसके लिए समर्पण
का भाव पहली शर्त है
और लगन, जुनून आदि
बन जाते हैं, ऊर्जा
और शक्ति का स्रोत।
प्राथमिकता
किसी व्यक्ति में विचारों की
प्रमुखता होती है तो
किसी में भावनाओं की,
और यही उनकी
शक्ति बन सकती है
और कमजोरी भी।
यह प्राकृतिक गुण होता है
और यदि इसे एक बार
समझ लिया जाए तो
इनमें संतुलन
और प्राथमिकता
निश्चित रूप से तय
की जा सकती है।
आईए आज हम देखें
कि हमने अपने
विचारों और भावनाओं
की मूल प्रकृति
को समझ कर
उसे अपनी शक्ति
बनाया है क्या?
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- श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं। इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं। मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं।