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आज का चिंतन

  • संजय अग्रवाल

 

शिकायतें

 

दूसरों से हमें

शिकायत होती है कि

उसने हमारे लिए

ऐसा नहीं किया

या कि

उसे ऐसा नहीं

करना चाहिए था   

 

शिकायतों का कारण

शिकायतों का एकमात्र कारण

दूसरों से हमारी

अपेक्षा ही है,

हमारी यह सोच या

दुराग्रह है कि

दूसरे को हमारे अनुकूल ही

व्यवहार करना चाहिए,

यही मूल कारण है

हमारी शिकायतों का

 

शिकायत कैसी-कैसी

उसने मेरा कहा

नहीं माना

मेरे कहने के

बावजूद भी

अपने मन का किया

मुझे उससे

ऐसी आशा नहीं थी

उसे मेरे साथ

ऐसा नहीं

करना चाहिए था

दूसरे का व्यवहार

हमारी अपेक्षा से

जितना अलग होगा

उतनी ही ज्यादा

बड़ी शिकायत

हमें उससे हो जाएगी

 

कैसे करूं निवारण

हर व्यक्ति का व्यवहार

सोच और कार्य का तरीका

भिन्न होता है

और यह सदैव

पूरी तरह हमारे अनुरूप हो

यह संभव ही नहीं है

अतः उसकी उस

भिन्नता की

स्वीकार्यता जब तक

हमें पूर्ण रूप से

नहीं हो जाएगी

तब तक हमारी शिकायतें

कायम रहेगी

  

आत्मावलोकन

क्या मैं दूसरों की

निजता का सम्मान

करते हुए

अपने व्यवहार को

सम्यक रख पाता हूं

 

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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभागनागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्कसंवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं