आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो

 

 

 

 

 

आज का चिंतन

  • संजय अग्रवाल  

 

पटरियां

 

हम सबके अपने-अपने अनुभवों 

की पटरियां होती है जिस पर हम 

अपने विचारों, बातों और व्यवहार 

की गाड़ियां दौड़ते रहते हैं।

सामंजस्य

क्योंकि हर एक की सामाजिक

आर्थिक, भौगोलिक, शैक्षणिक

पारिवारिक इत्यादि पृष्ठभूमि 

भिन्न-2 होती है इसलिए 

अधिकतर उसके सोचने का और 

काम करने का तरीका भी 

स्वयं में अनूठा और दूसरों से 

थोड़ा या अधिक अलग होता ही है।

और ऐसे में दूसरे के बोलने या 

करने के तरीके पर चिढ़ हो

क्रोध आए या खिन्नता पैदा तो 

तो यह बात ठीक नहीं होती है

इससे आपसी संबंधों में खटास 

और मन मुटाव आ सकता है।

यह स्थितियां अक्सर पारिवारिक 

और निकट संबंधों में आपसी 

बातचीत और व्यवहार 

में देखने में आती हैं। 

दूसरे की निजता और स्वायत्तता 

का मान रखते हुए कभी-कभी 

उसकी बातों और काम करने के 

तरीके का सम्मान करना 

उचित, आवश्यक और 

कभी-कभार अनिवार्य होता है।

इसमें उचित सामंजस्य करके ही 

रिश्तों को बनाए रखने में, बचाए 

रखने में सहायता मिलती है।

क्या करें

हमें सदैव सजग, सचेत और सतर्क 

रहना चाहिए कि कहीं हमारी 

अनावश्यक और अवांछित प्रतिक्रिया 

से दूसरे को मन पर आघात 

तो नहीं हो रहा है?

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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभागनागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्कसंवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं